डीएनए हिंदी: हिन्दू धर्म (Hindu Dharma) में दो प्रतीक चिन्हों को बहुत ही शुभ माना जाता है इनमें से एक ओमकार यानी "ओउम् (ॐ)" चिन्ह है. ॐ स्वयं में सम्पूर्ण ही ब्रह्माण्ड को समाये हुए है यह भगवान शिव से संबंधित होता है. दूसरा शुभ चिन्ह स्वास्तिक (Swastik Sign) को माना जाता है. स्वास्तिक (Swastik Sign) को शुभता का प्रतीक चिन्ह माना जाता है. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत से पहले स्वास्तिक (Swastik Sign) का चिन्ह बनाया जाता है. पूजा पाठ के कार्यों से पहले स्वास्तिक का चिन्ह (Swastik Sign) बनाया जाता है.
स्वास्तिक का अर्थ (Swastik Sign Meaning)
स्वास्तिक दो शब्दों से मिलकर बना है 'सु' और 'अस्ति', सु का अर्थ शुभ होता है और अस्ति का अर्थ 'होना' होता है. यानी स्वास्तिक का अर्थ (Swastik Sign Meaning) शुभ होना होता है. स्वास्तिक के चिन्ह को भगवान श्री गणेश से का प्रतीक माना जाता है. शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक (Swastik Sign) बनाने से सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं. तो चलिए स्वास्तिक चिन्ह (Swastik Sign) के चारों दिशाओं के महत्व के बारे में जानते हैं.
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स्वास्तिक का महत्व (Swastik Sign Significance)
स्वास्तिक को बहुत ही खास माना जाता है. घर में स्वास्तिक बनाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है. लोग शुभता के लिए घरों में घर के दरवाजे पर स्वास्तिक बनाते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. स्वास्तिक की चारों रेखाएं चारों दिशाओं को दर्शाती है. वास्तु दोषों को दूर करने के लिए स्वास्तिक बनाया जाता है. घर के उत्तरी दिशा में सूखी हल्दी से स्वास्तिक बनाने से व्यापार आदि की अड़चन दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि घर में आती है.
स्वास्तिक की रेखाओं का अर्थ
ऋग्वेद के अनुसार, स्वास्तिक को सूर्य माना जाता है ऐसे में स्वास्तिक को चारों भुजाओं की उपमा दी जाती है. स्वास्तिक के मध्य स्थान को भगवान विष्णु की 'कमल नाभि' और चारों रेखाओं को ब्रह्माजी की चार मुख, चार वेद, चार हाथ के रूप में माना जाता है. स्वास्तिक को चार युग और धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक भी मानते हैं.
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स्वास्तिक बनाने का तरीका
लोग अक्सर स्वास्तिक को प्लस के निशान के साथ भुजाओं को काटते हुए बना देते हैं. हालांकि क्रॉस करके स्वास्तिक बनाना अशुभ माना जाता है. स्वास्तिक हमेशा दाएं हिस्से से बनाना चाहिए. सही तरीके से स्वास्तिक बनाने के लिए पहले दाएं हिस्से को बनाएं और फिर अन्य हिस्से को बनाएं. शास्त्रों के अनुसार, इस तरह बनाएं गए स्वास्तिक को शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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