Pitru Paksha 2022: जीवन के अंतिम समय में किया जाएगा यह उपाय तो मृतक को मिलेगा स्वर्ग

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 16, 2022, 02:12 PM IST

गरुड़ पुराण में वर्णित इन 4 उपायों को करने से नहीं करना पड़ती श्राद्ध की आवश्यकता

व्यक्ति के अंतिम समय पर गरुड़ पुराण में वर्णित इन कुछ उपायों को करने से श्राद्ध की आवश्यकता नहीं पड़ती. जानें क्या है वह चीजें

डीएनए हिंदीः पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए अनेक प्रकार के कर्म किए जाते हैं उनमें से एक है श्राद्ध. सनातन धर्म मे पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है (Pitru Paksha 2022) . ऐसे में पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं साथ ही पिंडदान व तर्पण आदि कर्म करते हैं. माना जाता है कि व्यक्ति के मृत्यु के समय या उसके बाद यदि कुछ चीजों पर ध्यान दे दिया जाए तो श्राद्ध (Shradh)  करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. गरुड़ पुराण में कुछ वस्तुओं का जिक्र किया गया है जिन्हें विधिवत इस्तेमाल करने से श्राद्ध (Shradh 2022) करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. आइए जानते हैं गरुड़ पुराण में किन वस्तुओं का किया गया है जिक्र. 

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मृत व्यक्ति के पास रखें ये खास चीजें 

तुलसी: हिंदू धर्म मे तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है. तुलसी के पौधे को धार्मिक मान्यता दी गई है. मान्यता है कि मृत शरीर को यदि तुलसी के पौधे के पास लिटा दिया जाए तो मृत व्यक्ति की आत्मा को सीधा स्वर्ग मिलता है साथ ही यदि व्यक्ति के मुंह और माथे पर तुलसी का पत्ता रख दिया जाए तो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. 

गंगाजल: कहते हैं गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप मिट जाते हैं. सनातन धर्म मे गंगा जी का विशेष महत्व है ऐसे में व्यक्ति के अंतिम समय में जब वह प्राण त्यागने वाला हो तब उसके मुंह में गंगा जल डाल देने से मृतक व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और व्यक्ति को सीधा बैकुंठ धाम मिलता है.

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कुश: हिंदू धर्म में कुश का विशेष महत्व है. कुश का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यों में किया जाता है. मान्यता है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसे कुश के आसन पर लिटा देना चाहिए और उसके माथे पर तुलसी का पत्ता रख देना चाहिए इससे मृतक आत्मा को सीधा स्वर्ग मिलता है. 

तिल: मान्यता है कि जब व्यक्ति के मृत्यु का समय समीप हो तो उसके हाथों से तिल दान करवाना चाहिए ऐसा करने से असुर व दैत्य दूर रहते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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