देवदूत संख्या यानी मैजिकल नंबर लिखना एक ऐसा तरीका है जिसमें पूजा और प्रसाद की आवश्यकता नहीं होती है. प्रत्येक देवता का एक बीजाक्षर होता है. शुक्राणु एक बीज है. इससे पौधा प्राप्त होता है. तो आप बिजाक्षरम के जरिए पैसे कमा सकते हैं. महालक्ष्मी धन की देवी हैं. श्रीम देवी लक्ष्मी का प्रतीक है. प्रत्येक आत्मा का अपना बीज होता है. यदि आप धन की देवी लक्ष्मी के बीज अक्षर श्री के साथ एक विशेष देवदूत संख्या लिखते हैं, तो आपको धन की प्राप्ति होगी.
कब लिखना होता है ये नंबर
यदि हम केवल आय के लिए एंजेल सम्पर का उपयोग करते हैं तो कभी भी लिखने में कोई समस्या नहीं है. लेकिन स्नान करने के बाद स्वच्छ अवस्था में ही लिखें क्योंकि इसमें बीजाक्षर का भी प्रयोग होता है. यह पूर्णिमा पर लिखा जा सकता है, काले चंद्रमा के बाद शुक्रवार, जिस दिन चंद्रमा बड़ा हो जाता है. यह दिन आय का संकेत देने के लिए किया जाता है. इसे काली लहर के तीसरे दिन लिखा जा सकता है. राहु और यमकंद काल के दौरान न लिखें. यह कैलेंडर में उपलब्ध होगा. इसके साथ लिखें.
किस पत्ते पर कौन सा लिखें जादुई नंबर
इस अंक को लिखने के लिए आप इसे तेज पत्ते पर लिख सकते हैं. इन्हें गिरने न दें. अन्यथा आप बिना लाइन वाले सफेद कागज पर लिख सकते हैं. पत्तों पर लिखने से शक्ति अधिक होती है. हमें कभी भी पत्तों पर कर्ज शब्द नहीं लिखना चाहिए. यदि पत्ते पर लिखें तो उसमें कोई आंसू नहीं होना चाहिए. शाम 6 बजे के बाद अलीला को न चुनें. हरी स्याही वाले पेन से लिखें. क्योंकि हरा रंग आय को दर्शाता है. यह जादुई संख्या है 2918. इसे लिख लें और अपने बटुए में रख लें. यदि नहीं, तो आप इसे नकदी दराज में रख सकते हैं. इसे समय-समय पर पढ़ना अच्छा है.
कागज को त्याग देना चाहिए
यदि यह पत्ता या कागज पुराना हो जाए तो उसे बदल कर नये सिरे से लिखना चाहिए. आपको समय देखकर और दिन देखकर लिखना चाहिए. चेंजिंग पेपर को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां कोई उस पर कदम न रखे. यदि इसे ऐसे स्थान पर रखना संभव न हो जहां कोई इस पर कदम न रखे तो इस कागज या पत्ते को जलाया जा सकता है. इसे मूर्खों द्वारा नहीं लिखा जाना चाहिए. यदि पति काम पर जाता है तो पत्नी नौकरी न होने पर भी लिख सकती है. यानी आय का कोई स्रोत तो होना ही चाहिए. इसके अलावा सिर्फ बैठकर नंबर लिखने का कोई मतलब नहीं है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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