डीएनए हिंदीः बुधवार के सुपर ब्लू मून का खगोल विज्ञान के साथ-साथ ज्योतिष की दृष्टि से भी विशेष महत्व है. ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मौजुमदार के अनुसार यह दुर्लभ चंद्रमा मानवीय भावनाओं, कल्पना और अवचेतन मन पर प्रभाव डालेगा.
ऐसा कहा जाता है कि पूर्णिमा के दौरान चंद्र ऊर्जा की तीव्रता सबसे अधिक होती है. इसलिए ही चंद्रमा एक सुपरमून बन जाता है, जो अन्य दिनों की तुलना में बहुत बड़ा होता है. परिणामस्वरूप, विभिन्न मामलों में इसके प्रभाव की तीव्रता भी बढ़ जाती है. चंद्रमा के प्रभाव से भावनाएं, विचार और कल्पना तेज होती हैं.
सुपर मून से अच्छा और बुरा दोनों तरह का होगा प्रभाव
सुपर ब्लू मून का प्रभाव लोगों के जीवन में अच्छा और बुरा दोनों हो सकता है. किस पर कैसा प्रभाव पड़ेगा यह जन्म कुंडली और अन्य सहायक कारकों पर निर्भर करता है. दुर्लभ सुपर ब्लू मून के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में नई जिम्मेदारियां आ सकती हैं. वहीं दूसरी ओर जीवन की दिशा में अप्रत्याशित परिवर्तन भी आ सकते हैं. अगर कोई तनाव में है तो उसके तनाव के बढ़ने की संभावना ज्यादा होगी. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है उनके लिए ये और कष्टदायक हो सकता है.
इस तरह का होता है ब्लू मून
सुपर ब्लू मून सामान्य दिनों की तुलना में 40 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकीला दिखाई देता है. सुपर ब्लू मून को बिना किसी उपकरण के आसानी से देखा जा सकता है. ब्लू मून में चंद्रमा नीला नहीं दिखाई देता है, वह थोड़ा हल्का संतरी रंग या पीलापन का दिखाई देता है. चंद्रमा नीला तभी दिखाई देता है, जब आसपास बहुत ज्यादा प्रदुषण हो, जिसकी वजह से धूल के कण हवा में बिखर गए हों.
दशकों में एक बार बनता है सुपर ब्लू मून
सावन पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होगा और रात 8 बजकर 37 मिनट पर सुपर ब्लू मून पूर्ण आकार व चमक के साथ आसमान में दिखाई देगा. खगोल विज्ञान के अनुसार, ब्लू मून की घटना तो दो से तीन सालों में एक बार घटती है लेकिन सुपर ब्लू मून लगभग दस सालों में एक बार आता है. हालांकि कभी कभार यह 20 सालों में घटित हो जाता है. बताया जा रहा है कि अगल सुपर ब्लू मून अब साल 2037 में पड़ने की संभावना है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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