Mangalwar Puja: मंगलवार का दिन हनुमान जी (Hanumann Ji) की पूजा के लिए शुभ माना जाता है. मंगलवार को हनुमान चालीसा पढ़ने और बजरंगबली की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं. इसके साथ ही मंगलवार के दिन कुछ खास उपाय भी कर सकते हैं. जीवन में सुख शांति की कामना के लिए इन उपायों को करना चाहिए. आइये आपको मंगलवार के दिन किए जाने वाले इन उपायों (Mangalwar Ke Upay) और इनके फायदों के बारे में बताते हैं.
मंगलवार को करें ये उपाय मिलेंगे कई लाभ
- अगर आप नौकरी में प्रमोशन पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. मंगल के दिन विधि-विधान से पूजा करें और पान अर्पित करें. ऐसा करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और प्रमोशन के योग बनते हैं.
- कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मंगल दोष से मुक्ति के लिए लाल मिर्च का दान करना चाहिए. मंगलवार के दिन इस उपाय को करने से कुंडली से मंगल दोष दूर होता है.
- पति-पत्नी में झगड़ा होता रहता है और अनबन बनी रहती है तो आप मंगलवार के दिन मसूर की दाल का दान करें. इस उपाय को करने से दांपत्य जीवन में मिठास आती है.
- अगर आपके काम अक्सर पूरे नहीं होते हैं. तो कार्य सफलता के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी के साथ रामदरबार की पूजा करें. ऐसा करने से काम में आने वाली रुकावटें दूर होंगी और सफलता प्राप्त होगी.
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- कर्ज लेने के बाद उसे नहीं चुका पा रहे हैं तो कर्ज मुक्ति के लिए "ऋण मोचन अंगारक स्त्रोत" का पाठ करना चाहिए. इससे आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और कर्ज चुकाने में आसानी होती है.
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः,
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः,
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः,
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्,
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्,
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्,
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय,
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा,
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्,
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः,
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः,
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा,
इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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