माला धारण करने से पहले जान लें इसके नियम, नहीं तो जीवन में आ जाएगा भूचाल, कंगाली का करना पड़ेगा सामना 

Written By नितिन शर्मा | Updated: Jul 23, 2023, 02:53 PM IST

ज्योतिष शास्त्र में माला जाप से लेकर पहनने के कई नियम बताएं गए हैं. इन नियमों की अनदेखी करना आपके जीवन को परेशानियों से भर सकता है. इसे कंगाली का सामना करना पड़ सकता है.

डीएनए हिंदी: (Mala Wearing Rules) सनातन धर्म में पूजा पाठ के साथ ही माला जप का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है. यह माला 108 मानकों की होती है, जो अलग अलग धातुओं से बनी होती हैं. बहुत से लोग माला पर देवी देवताओं के मंत्रों का जाप करने के साथ ही भग्य को जगाने और शुभ मानते हुए माला को गले या कलाई में धारण कर लेते हैं. ऐसा करना बहुत ही शुभ होता है, लेकिन बिना जानकारी के यह करना आपको पुण्य की जगह पाप का भागीदार बना सकता है. इतना ही नहीं नियमों की सही जानकारी न होने की वजह से भी आपका जीवन खतरे में पड़ सकता है. जीवन में भूचाल आने के साथ ही कंगाली का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में माला धारण करने से पहले इसके ज्योतिष नियम जरूर जान लें. आइए जानते हैं जानते हैं अलग अलग तरह की माला धारण करने के नियम और उसके फायदे...

ज्योतिष के अनुसार, हर माला एक अलग ग्रह से संबंध होता है. इतना ही नहीं तुलसी से रुद्राक्ष तक की माला को धारण करने पर अलग अलग देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है. यही वजह है कि कोई मोती की माला धारण करता है तो कोई तुलसी, रुद्राक्ष, कमलगट्टे, स्फटिक या फिर चंदन की, लेकिन शायद ही आप जानते हो कि इन मालाओं को धारण करने के साथ ही खानपान में भी बदलाव करना पड़ता है. ऐसा न करने पर माला पहनने से मिलने वाले पुण्य पाप में बदल जाते हैं. आइए जानते हैं .. 

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कमलगट्टे की माला के नियम

हिंदू धर्म में कमलगट्टे को मां लक्ष्मी का प्रिय बताया गया है. कमलगट्टे की माला पर देवी लक्ष्मी के मंत्रों जप करने से मां प्रसन्न होती है. घर में धन संपत्ति की कमी नहीं रहती. कमलगट्टे की माला का इस्तेमाल मां बगलाकुखी और मां कालका की पूजा और मंत्रों के जाप के लिए भी किया जाता है,  

तुलसी की माला

भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए तुलसी की माला पर जाप और धारण किया जाता है, लेकिन इसके धारण करने से पहले शुद्धता का पूरा ध्यान रखना पड़ता है. इस माला को धारण करने के साथ ही तामसिक भोजन का त्याग करना होगा. साथ ही मांस या शराब को नहीं छूना चाहिए. तुलसी की माला पहनकर ऐसा करने से सारे पुण्य पाप में बदल जाते हैं. इसे आपको भगवान विष्णु की नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है, जीवन में कठिनाई और कंगाली भर सकती है. 

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मोती की माला 

मोती को चंद्रमा का रत्न माना जाता है. यह चद्र ग्रह की शुभता और सौभाग्य का प्रतिक माना जाता है, जिन लोगों का मन अशांत रहता है. उन्हें मोती की माला धारण करना फायदेमंद हो सकता है. यह सौभाग्य और शांति का साथ देता है. माला धारण करने के नियम होते हैं. इनका पालन भी जरूर करना चाहिए. ऐसा करने पर जीवन में लाभ अशांति आ सकती है. 

चंदन की माला 

हिंदू धर्म में चंदन को बहुत ही शुभ माना जाता है. चंदन की माला सफेद, पीले और लाल रंग की होती है. इस माला का इस्तेमाल अलग अलग देवी देवताओं की पूजा अर्चना और साधना के लिए किया जाता है. पीले चंदन की माला का इस्तेमाल भगवान विष्णु की पूजा और मंत्रों के जाप के लिए किया जाता है.वहीं लाल चंदन की माला से माता के मंत्रों का जाप किया जाता है. 

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रुद्राक्ष की माला 

रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रिय और महाप्रसाद माना गया है. यही वजह है कि भगवान शिव की आराधना करने के लिए इस माला पर मंत्रों का जाप और धारण करना बहुत ही शुभ होता है, लेकिन इसे धारण करने कठोर नियम है. इसे धारण करने के साथ नियमों का ध्यान रखना होता है. मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की माला पहनने के बाद शौच और स्त्री प्रसंग आदि के समय उतार देना जरूरी है. ऐसा करने पर पाप लगता है. 

गले में पहनी जाने वाली माला से नहीं करना चाहिए जाप

शास्त्रों में अलग अलग माला के हिसाब देवी देवताओं के मंत्र जाप और धारण करने की विशेषताएं बताई गई है. तुलसी या चंदन की माला पर भगवान विष्णु का जाप, रुद्राक्ष की माला पर भगवान शिव का जाप, मोती की माला पर शुक्र या चंद्रमा का जाप करना शुरू होता है. साथ ही जाप और गले में पहनी जाने वाली मात्रा अलग होती है. जाप वाली मात्रा को गले या हाथ में धारण नहीं किया जाता है. इसे जाप करने के तुरंत बाद मंदिर में रखना होता है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

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