Tulsi Vivah 2024 Aarti: आज तुलसी विवाह पर करें मां तुलसी और भगवान शालिग्राम की आरती, पूर्ण हो जाएगी हर मनोकामना

Written By नितिन शर्मा | Updated: Nov 13, 2024, 05:55 AM IST

इस साल मां तुलसी और शालिग्राम का विवाह 13 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. इसमें भगवान की पूजा अर्चना करने के विशेष लाभ प्राप्त होंगे. 

Tulsi Vivah Puja And Aarti: देवउठनी एकादशी के बाद तुलसी विवाह आता है. इस बाद तुलसी विवाह 12 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन माता तुलसी और शालिग्राम की पूजा अर्चना करने से दांपत्य जीवन में आने वाली समस्याएं दूर हो जाती है. विवाह में हो रही देरी पर जल्द ही शादी के योग बनते हैं. तुलसी विवाह कराने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु का अशीर्वाद प्राप्त होता है. 

ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजूमदार के अनुसार, इस बार तुलसी विवाह 13 नवंबर को होगा. हालांकि द्वादशी तिथि की शुरुआत 12 नवंबर 2024 को शाम 4 बजकर 4 मिनट से शुरू हो जाएगी. यह अगले दिन 13 नवंबर को 1 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. इसी दिन मां तुलसी और शालिग्राम का विवाह का मुहूर्त है. इसमें भगवान की पूजा अर्चना और आरती करना बेहद शुभ होगा. इसके विशेष लाभ भी प्राप्त होंगे. आइए जानते हैं मां तुलसी और शालिग्राम की आरती...

तुलसी जी की आरती

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता.
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता.. मैय्या जय तुलसी माता..

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर.
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता. मैय्या जय तुलसी माता..

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या.
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता. मैय्या जय तुलसी माता..

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित.
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता. मैय्या जय तुलसी माता..

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में.
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता..

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी.
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता. मैय्या जय तुलसी माता..

हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता.
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता..

शालिग्राम जी की आरती

शालिग्राम सुनो विनती मेरी.
यह वरदान दयाकर पाऊं..

प्रात: समय उठी मंजन करके.
प्रेम सहित स्नान कराऊँ..

चन्दन धूप दीप तुलसीदल.
वरन-वरण के पुष्प चढ़ाऊँ..

तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित.
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं..

चरण धोय चरणामृत लेकर.
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं..

जो कुछ रुखा सूखा घर में.
भोग लगाकर भोजन पाऊं..

मन वचन कर्म से पाप किये.
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ..

ऐसी कृपा करो मुझ पर.
जम के द्वारे जाने न पाऊं..

माधोदास की विनती यही है.
हरी दासन को दास कहाऊं..

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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