डीएनए हिंदी : Two types of Durga Puja in Bengal- पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा (West Bengal Durga Puja 2022) का खास महत्व है, यह त्योहार यहां का प्रमुख त्योहार है. दुर्गा पूजा का इंतजार हर बंगाली सार भर करते हैं. भले ही देश के कोणे कोणे में यह त्योहार धूम धाम और उमंग उल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन बंगाल की रौनक की बात ही कुछ और है. दुर्गा पूजा को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं. बहुत ही अलग अंदाज और परंपरा के साथ यह पूजा मनाई जाती है. क्या आपको पता है कि बंगाल में दुर्गा पूजा दो तरह की होती है. सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन ऐसा ही है. आज हम उसके बारे में आपको बताएंगे
पारा की दुर्गा पूजा और बारिर दुर्गा पूजा. ये दोनों ही बंगाली शब्द है,जिसका मतलब है पारा की पूजा, जो आपके आस-पास, पड़ोस, मोहल्ले में क्लब में होती है और बारीर दुर्गा पूजा मतलब बारी यानी घर, घर में भी लोग दुर्गा मां की प्रतिमा की स्थापना करते हैं और नौ दिन उनकी उपासना करते हैं.
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पारा की दुर्गा पूजा (Area Puja)
दोनों ही पूजा की रस्मे थोड़ी अलग होती हैं. दोनों अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है. परंपरा के अनुसार पारा दुर्गा पूजा यानी स्थानीय दुर्गा पूजा जो सामान्यत पंडालों और कम्यूनिटी हॉल में होती है. इसमें रोशनी,डिजाईन्स,थीम, स्टॉल, सजावट और भीड़ महत्व रखती है. पंडालों को खूब सुंदर से सजाया जाता है. यहां तक की मुकाबले भी किए जाते हैं. रंगोली और कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है.
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बारिर दुर्गा पूजा (Home Puja)
वहीं उत्तरी कोलकाता आर दक्षिण कोलकाता में बारिर परंपरा के अनुसार दुर्गा पूजा की जाती है. बारिर का मतलब घर में पूजा की जाती है. इस पूजा का एक घरेलू प्रभाव होता है और यह घर वापसी की भावना के साथ लोगों को अपनी जड़ों के करीब लाती है, यह पूजा ज्यादातर अमीर और पुराने लोगों के घरों में की जाती है, इस पूजा में पुरानी पंरपरा का ध्यान रखा जाता है और परिवार के जो लोग बाहर रहते हैं वे भी पूजा में शामिल होने के लिए आते हैं. यह सभी को जोड़कर रखने का एक बेहतरीन मौका है.
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