डीएनए हिंदी: धार्मिक पुराणों में देवी के शक्तिपीठों की चर्चा की गई है. धार्मिक पुराणों के अनुसार, देवी सती के अंग के टुकड़े,गहने और वस्त्र जहां भी गिरे थे वहीं पर शक्तिपीठ मंदिर (Shaktipeeth Mandir) मौजूद हैं. देवी के शक्तिपीठ भारत समेत पूरे भारतीय उपमाद्वीप में फैले हुए हैं. देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ (Shaktipeeth Mandir) के बारे में बताया गया है.
उज्जैन का 2000 साल पुराना हरसिद्धि मंदिर (Ujjain Harsiddhi Temple) भी इन 51 शक्तिपीठों में शामिल है. मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर देवी सती की कोहनी गिरी थी. यहीं वजह है कि इस मंदिर को 51 शक्तिपीठ में स्थान मिला है. उज्जैन का यह हरसिद्धि मंदिर (Harsiddhi Temple) बहुत ही प्रसिद्ध है और यहां की परंपराएं बहुत ही खास हैं. तो चलिए खास बातों के बारे में जानते हैं.
हरसिद्धि नाम के पीछे ये है वजह (Ujjain Harsiddhi Temple)
मंदिर का नाम हरसिद्धि क्यों पड़ा इसके पीछे भी एक मान्यता है. दरअसल, दो दैत्य चंड-मुंड एक बार कैलाश पर कब्जा करने के लिए गए थे. उस समय मां पार्वती और भगवान शिव द्यूत-क्रीड़ा (जुआ खेलने) में व्यस्त थे. चंड़-मुंड को द्वार पर ही नंदी ने रोक लिया. दोनों दैत्यों ने नंदी को घायल कर दिया. इस बात का पता लगने के बाद भगवान शिव ने चंडी देवी को याद किया. बाद में देवी ने शिव जी की आज्ञा से दोनों दैत्यों का वध कर दिया. शिवजी ने प्रसन्न होकर दुष्टों का वध करने की वजह से उन्हें हरसिद्धि नाम से प्रसिद्धि का वरदान दिया. तभी से महाकाल वन में हरसिद्धि विराजमान मानी जाती हैं.
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हरसिद्धि मंदिर का राजा विक्रमादित्य से भी है संबंध (Ujjain Harsiddhi Temple)
यह मंदिर जिस क्षेत्र में स्थित है वह स्थान राजा विक्रमादित्य की तपोभूमी माना जाता है. मंदिर के पीछे सिर पर सिंदूर लगे कुछ सिर रखें हैं. मान्यताओं के अनुसार, इन सिरों को राजा विक्रमादित्य का सिर बताया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने 12 वर्ष तक अपने सिरों की बलि दी थी. 11 बार बली देने पर सिर वापस आ जाता था. 12वीं बार बली देने पर राजा विक्रमादित्य का सिर वापस नहीं आया था.
मंदिर में दर्शन से पूरी होती है मनोकामनाएं (Ujjain Harsiddhi Temple Darshan)
यह मंदिर बहुत ही खास है इस मंदिर की परंपराएं भी बहुत ही अनूठी हैं. इस मंदिर में बलि नहीं चढ़ाई जाती है. यह मंदिर देवी वैष्णव का हैं. देवी वैष्णव परमारवंशी राजाओं की कुलदेवी हैं. हरसिद्धि मंदिर में श्रीसूक्त और वेद मंत्रों से पूजा-पाठ किया जाता है. यहां पर स्तंभ दीप प्रज्वलन के समय मांगी जाने वाली सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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