सर्दी आते ही भगवान के स्नान से लेकर भोग प्रसाद तक में किये गये बदलाव, महाकाल से लेकर श्रीकृष्ण के लिए रहेंगे ये इंतजाम

Written By नितिन शर्मा | Updated: Dec 01, 2023, 12:24 PM IST

ठंड में आम जन की तरह ही धार्मिक स्थलों पर भगवान के दर्शन करने वाले सभी भक्त अपने खानपान से लेकर कपड़ों और नहाने के पानी तक में बदलाव कर लेते हैं. ठीक उसी तरह भगवान का भी ध्यान रखा जाता है.

डीएनए हिंदी: मौसम का प्रभाव न सिर्फ व्यक्तियों पर पड़ता है. इससे भक्त और भगवान भी प्रभावित होते हैं. ठंड में आम जन की तरह ही धार्मिक स्थलों पर भगवान के दर्शन करने वाले सभी भक्त अपने खानपान से लेकर कपड़ों और नहाने के पानी तक में बदलाव कर लेते हैं. ठीक उसी तरह भगवान का भी ध्यान रखा जाता है. सर्दी को देखते हुए महाकाल को स्नान के लिए गर्म जल शामिल किया जाने लगा है. वहीं  श्रीकृष्ण को ठंड से बचाने के लिए अंगीठी का इंतजाम किया गया है. भगवान के लिए भोग प्रसाद में माखन मिश्री की जगह अब दूध जलेबी शामिल की गई है. 

दरअसल उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल को स्नान कराने की बहुत ही पुरानी परंपरा है. महादेव की गर्मी में ठंडे और सर्दी आते ही गर्म जल में स्नान कराया जाता है. भगवान के लिए हर दिन जड़ी बूटी डालकर जल को गर्म किया जाता है. इसके बाद इस जल से महाकाल को स्नान कराया जाता है. इस बार मध्यप्रदेश में मौसम में हुए तेजी से बदलाव के चलते भगवान को गर्म जल स्नान कराना शुरू कर दिया गया है. इसके बाद भगवान पर हल्दी, चंदन का लेप किया जाता है. इन दोनों चीजों की तासीर गर्म होती है. यही वजह है कि सर्दी आते ही इन्हें भगवान के लेप और श्रृंगार में इस्तेमाल किया जाता है.  

भगवान श्री कृष्ण के अंगीठी और दूध जलेबी

वहीं बताया जाता मध्यप्रदेश में संदीपनि आश्रम में भगवान ​श्री कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी. यह उनका शिक्षा स्थल था. यहां पर भी भगवान श्रीकृष्ण विराजमान हैं. यहां पर भगवान को ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाने के साथ ही अंगीठी का इंतजाम किया गया है. सुबह और शाम के समय भगवान के पास अंगीठी जलाई जाती है. ताकि मौसम का असर भगवान श्रीकृष्ण पर न पड़े. यहां के पुजारी बताते हैं कि यह भक्त का भगवान के प्रति प्यार है. 

भोग प्रसाद में शामिल की गई गर्म खाद्य सामग्री

सांदीपनि आश्रम के पंडित रूपम व्यास पुजारी बताते हैं कि सर्दी के मौसम में भगवान श्रीकृष्ण को गर्म कपड़े पहनाने के साथ ही उनके भोग प्रसाद में गर्म खाद्य सामग्री शामिल की गई है. भगवान को सर्दी में गरम जलेबी और दूध का भोग लगाया जाता है. दोपहर और रात को भी भगवान को गर्म भोग लगाने के साथ ही अंगीठी जलाई जाती है. भगवान को कार्तिक माह की चौदस फाल्गुन माह से पूर्णिमा तक गर्म जल से स्नान कराया जाता है.

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