Ujjain के Mahakal Mandir में महाशिवरात्रि से पहले मनेगी " शिव नवरात्रि", बदलेगा मंदिर के भोग-आरती का समय भी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 01, 2023, 08:38 AM IST

श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में महाशिवरात्रि से पहले नौ दिनों तक शिव नवरात्रि मनाई जाती है और इसमे महाकाल के कई रूप दिखेंगे.

डीएनए हिंदी: भगवान शिव के भक्तों के लिए शिवभक्ति का विशेष दिन यानी महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का त्योहार आने वाला है. इस साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का पर्व 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा. उज्जैन के महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir) में महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.

इस साल भी श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (Mahakaleshwar Jyotirlinga) में तैयारियां बड़ी ही जोरों से चल रही है. यहां पर महाशिवरात्रि से पहले नौ दिनों तक शिव नवरात्रि (Shiv Navratri 2023) मनाई जाती है. इन शिव नवरात्रि के दौरान भगवान शिव का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाता है. यही नहीं 10 फरवरी से भोग और आरती का समय भी बदल जाएगा.

10 फरवरी से होगी शिव नवरात्रि की शुरूआत (Shiv Navratri 2023)
महाशिवरात्रि से पहले महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव नवरात्रि (Shiv Navratri 2023) का पर्व मनाया जाता है. इसकी शुरूआत फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से होती है. साल 2023 में शिव नवरात्रि (Shiv Navratri 2023) की शुरूआत 10 फरवरी को हो रही है. शिव नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक शिव जी अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं. 

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पूजा-अर्चना और रुद्रापाठ से होती है शिव नवरात्रि की शुरूआत
शिव पंचमी तिथि से शिव नवरात्रि की शुरूआत होती है. इस दिन मंदिर के पुजारी महाकाल का पंचामृत से अभिषेक करते हैं. अभिषेक के बाद रुद्रपाठ किया जाएगा और दोपहर 1 बजे भोग आरती की जाएगी. तीन बजे संध्या पूजा की जाएगी और उसके बाद महाकाल का शृंगार किया जाएगा. पहले दिन महाकाल का चंदन से शृंगार किया जाता है उसके बाद नौ दिनों तक अलग अलग रूपों में महाकाल का शृंगार किया जाता है.

शिव नवरात्रि में अलग-अलग रूपों किया जाता है महाकाल का शृंगार
शिव नवरात्रि के पहले दिन चंदन, सोल व दुपट्टा पहनाया जाता है. महाकाल को मुकुट और छत्र आदि आभूषण पहनाएं जाते हैं. दूसरे दिन शेषनाग शृंगार किया जाता है और तीसरे दिन घटाटोप शृंगार, चौथे दिन छबीना शृंगार, पांचवे दिन महाकाल का होलकर शृंगार किया जाता है, छठे दिन मन-महेश, सांतवें दिन उमा-महेश और आंठवें दिन शिव तांडव के रूप में महाकाल का शृंगार कर पूजा की जाएगी.

इन दिनों बदल जाता है पूजा व आरती का समय
महाकाल मंदिर में रोजाना सुबह 10 बजे भोग आरती और शाम 5 बजे संध्या आरती की जाती है लेकिन शिव नवरात्रि के दौरान इस समय में बदलाव कर दिया जाता है. शिव नवरात्रि के दौरान भोग आरती का समय 10 बजे की बजाय 1 बजे और संध्या आरती का समय दोपहर 3 बजे कर दिया जाएगा. शिव नवरात्रि के दौरान देश-विदेश से आने वाले भक्त महाकाल के सामान्य दर्शन कर सकेंगे. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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