डीएनए हिंदीः वैशाख माह की पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2023) तिथि को भगवान विष्णु के नौवें अवतार महात्मा बुद्ध प्रकट हुए थे. यहीं वजह है कि वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2023) को बुद्ध पूर्णिमा (Budh Purnima 2023) के रूप में भी मनाया जाता है. वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2023) का दिन भगवान विष्णु के नौवें अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और घर में सत्यनारायण की कथा कराने से सुख शांति बनी रहती है.
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का भी बहुत अधिक महत्व होता है. हालांकि वैशाख माह की यह पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2023) बहुत ही विशेष होने वाली है. वैशाख पूर्णिमा पर दान-पुण्य करने से बहुत ही शुभ फल मिलते हैं. इस बार वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2023) पर चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2023) लग रहा है. तो चलिए वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima 2023) के महत्व और पूजा विधि के बारे में जानते हैं.
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वैशाख पूर्णिमा 2023 तारीख (Vaishakh Purnima 2023 Date)
वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 मई रात 11ः35 पर हो रही है. इस तिथि का समापन 5 मई रात को 11ः02 पर होगा. उदय तिथि को महत्व देते हुए वैशाख माह की पूर्णिमा 3 मई को मनाई जाएगी.
वैशाख पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2023 (Vaishakh Purnima 2023 Shubh Muhurat)
वैशाख पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 4ः12 से 4ः55 तक रहेगा. वहीं इसके बाद सत्यनारायण की की कथा का शुभ मुहुर्त सुबह 7ः18 से 8ः58 तक रहेगा. लक्ष्मी पूजा ता शुभ मुहूर्त पूर्णिमा के दिन रात को 11ः56 से 6 मई को रात 12ः39 तक है.
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वैशाख पूर्णिमा 2023 महत्व (Vaishakh Purnima 2023 Significance)
- वैशाख माह की पूर्णिमा का बहुत ही विशेष महत्व होता है. यह बुद्ध जयंती के रूप में मनाया जाता है. वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बहुत खास होती है.
- वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रमा की विधि विधान से पूजा और व्रत करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है. वैशाख पूर्णिमा पर घर में सत्यनारायण की कथा कराने से भी लाभ होता है.
वैशाख पूर्णिमा 2023 पूजा विधि (Vaishakh Purnima 2023 Puja Vidhi)
- वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें. यदि ऐसा संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें.
- स्नान करने के बाद उगते सुर्य को सूर्य मंत्र के जाप के साथ अर्घ्य दें. भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उन्हें अक्षत और फूल अर्पित करें.
- विधि विधान से पूजा कर व्रत का संकल्प लें और भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद बांटे. इस दिन रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. इस विधि से पूजा और व्रत करने से आपको निश्चित ही लाभ होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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