Varah Jayanti 2022: कैसे करें भगवान विष्णु के तीसरे अवतार की पूजा, विधि, शुभ मुहूर्त, क्या है व्रत कथा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 30, 2022, 10:16 AM IST

Varah Jayanti 2022 विष्णु के तीसरे अवतार की पूजा के रूप में मनाई जाती है. 30 अगस्त यानी मंगलवार उदयातिथि के अनुसार पूजा शुरू हो रही है. जानिए क्या है इस अवतार की कहानी, कैसे करें पूजा और व्रत कथा क्या है

डीएनए हिंदी: Kab hai Varah Jayanti Vrat- हिंदू धर्म में बहुत प्रकार के व्रत होते हैं और देवताओं के कई अवतार होते हैं, जिसके आधार पर उनकी मान्यताएं भी होती हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार,भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती (Varah Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है. इस साल यह तिथि  30 अगस्त यानी मंगलवार को है. इस दिन भगवान वराह की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि भगवान विष्णु (Lord Vishnu)के तीसरे अवतार थे वराह. आईए इनके पीछे की पौराणिक कहानी, व्रत कथा और पूजन के बारे में जानते हैं.

ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष नामक दैत्य का वध किया था.जिसने पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया था, भगवान वराह का जन्म ब्रह्मा की नाक से हुआ था.  

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पूजा विधि (Varah Jayanti 2022 Puja Vidhi)

वराह जयंती पर सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें, इसके बाद भगवान वराह की मूर्ति या चित्र एक साफ स्थान पर स्थापित करें
अगर भगवान वराह का चित्र या प्रतिमा न हो तो उसके स्थान पर भगवान विष्णु का चित्र या प्रतिमा की पूजा भी कर सकते हैं
भगवान वराह के चित्र के सामने शुद्ध घी की दीपक जलाएं, इसके बाद कुंकुम,अबीर,गुलाल,रोली,चावल आदि चीजें चढ़ाएं
फूल और माला से पूजा करें, अपनी इच्छा अनुसार पकवानों का भोग लगाएं और अंत में आरती कर पूजा का समापन करें

शुभ समय (Auspicious time)

29 अगस्त दोपहर 3 बजकर 20 मिनट से लेकर 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक ही पूजा का शुभ समय है.उदयातिथि की मान्यता के अनुसार वराज जयंती 30 अगस्त को मनाई जा रही है.इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 12 मिनट तक है.वहीं इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक है.

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शुभ संयोग (Puja aur Vrat ka Shubh Yog)

इस बार वराह जयंती पर 2 शुभ योग बन रहे हैं.रवि योग 30 अगस्त को सुबह 5 बजकर 58 मिनट से लेकर रात 11 बजकर 50 मिनट तक है.इसके अलावा शुभ योग सुबह से लेकर रात 12 बजे तक है.

वराह अवतार की कथा और महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्याक्ष नाम का एक महा भयंकर दैत्य था, उसने तपस्या करके ब्रह्माजी से कई वरदान प्राप्त कर लिए थे, एक दिन उसने पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया था, तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की. सभी के आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया. इसके बाद वे समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर पृथ्वी को बाहर ले आए. जब हिरण्याक्ष ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ. भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया. इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया.

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