डीएनए हिंदीः वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में दिशाओं का विशेष महत्व होता है. घर में किसी भी चीज को बनाने से लेकर रखने के लिए दिशाओं के बारे में बताया गया है. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में घर में पूजा स्थल बनाने को लेकर भी कई नियमों के बारे में बताया गया है. पूजा स्थल (Vastu Tips for Puja Ghar) घर में बहुत अधिक ही महत्वपूर्ण स्थान होता है ऐसे में पूजा स्थल के बताएं नियमों (Vastu Tips for Puja Ghar) का पालन करना बहुत ही जरूरी होता है. वास्तु में कई ऐसी जगहों के बारे में बताया गया है जहां पर भूलकर भी घर का पूजा स्थल नहीं बनाना चाहिए. आज हम आपको पूजा स्थल से जुड़े ऐसे वास्तु (Vastu Tips for Puja Ghar) नियमों के बारे में बताने वाले हैं जो आपके जीवन में सुख-समृद्धि को बढ़ाएंगे और परेशानियों को दूर करेंगे.
घर में पूजा स्थल के लिए इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान (Vastu Tips for Puja Ghar)
- वास्तु नियमों के अनुसार, कभी भी सीढ़ियों के नीचे मंदिर का निर्माण नहीं करना चाहिए. यह स्थान पूजा घर के लिए अशुभ माना जाता है. ऐसा करने से घर में हमेशा कलह बनी रहती है. सीढ़ियों के नीचे मंदिर होने से परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव बना रहता है.
- घर में पूजा स्थल के लिए बाथरूम के बराबर की जगह का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. बाखरूम के ऊपर या नीचे भी पूजा स्थल नहीं बनाना चाहिए. इस स्थिति में घर-परिवार के सदस्यों को कष्ट झेलने पड़ते हैं.
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- पूजा घर बेसमेंट में नहीं बनाना चाहिए. बेसमेंट में पूजा घर होने से नकारात्मक ऊर्जा आती है. घर में पूजा घर बेडरूम में भी नहीं होना चाहिए. यह स्थान भी पूजा घर के लिए अशुभ माना जाता है.
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा स्थल के लिए उत्तर-पूर्व दिशा को उचित माना जाता है. यह दिशा देव दिशा के रूप में जानी जाती है. अगर इस दिशा में मंदिर न बना सके तो पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण कराएं.
- पूजा घर में भगवान की दो मूर्तियां नहीं होनी चाहिए. पूजा घर में शिवलिंग, शंख और शालिग्राम सिर्फ एक ही होने चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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