डीएनए हिंदी: ज्योतिष शास्त्र की तरह ही वास्तु भी हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है. घर के किचन से लेकर बेडरूम और बाथरूम की एक गलत डायरेक्शन आपके जीवन को प्रभावित करती है. व्यक्ति स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है. वहीं स्टडी रूम में वास्तु की गलती से बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लग पाता. अच्छे रिजल्ट नहीं मिल पाते. साथ ही तनाव की स्थिति पैदा होती है. ऐसे में बच्चों के रूम में वास्तु के नियम को फॉलो किया जाए तो वह अच्छा स्कॉर करते हैं. एकाग्रता बढ़ने के साथ ही बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगने लगता है.
बच्चों के स्टडी रूम में फॉलो करें वास्तु के नियम
-बच्चों के लिए स्टडी रूम में पढ़ाई के लिए रखे जाने वाली टेबल दक्षिण दिशा में रखें, जिससे पढ़ाई के दौरान बच्चे का मन लगे. उसका मुंह उत्तर पूर्व दिशा की तरफ रहे. इससे बच्चे की एकाग्रता बढ़ती है. याद करने की क्षमता स्ट्रॉग होती है. साथ ही बुद्धि का विकास होता है.
-स्टडी रूम में किताबों की अलमारी को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखनी चाहिए. इसमें साफ सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए. किताबों पर धूल न जमने दें. इससे बच्चों की प्रतिभा बढ़ती है और वह हर काम में कुशल होता है.
-स्टडी रूप में भगवान गणेश जी की फोटो जरूर लगाएं. गणपित बाबा की पूजा जरूर करें. इसे बुद्धि में वृद्धि होती है. व्यक्ति की याद्दाश्त बढ़ती है. बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होते हैं.
-बच्चों के स्टडी रूप में उनके लक्ष्य अनुसार ही फोटो लगाये. जैसे वह किसके जैसा बनना चाहते हैं. वह कौन जीवन में क्या पाना चाहते हैं. उन्हें क्या पसंद है. ऐसी तस्वीरों को लगाने के साथ ही कमरे की पूर्व दिशा में मां सरस्वती की फोटो जरूर लगाएं.
-अगर स्टडी रूम में किसी भी तरह का दोष है तो टेबल पर उल्का पिंड रख सकते हैं. यह वास्तु दोष को दूर करता है. बच्चों की क्षमताओं को बढ़ाता है. बच्चों को किसी भी विषय को समझने में आसानी होती है.
-स्टडी रूप को भूलकर भी शौचालय के पास नहीं बनवाना चाहिए. यह नेगेविट एनर्जी को बढ़ाती है. इससे वास्तु दोष प्रकट होता है, जो बच्चे की क्षमताओं को कम करने के साथ ही उसे नकारात्मकता की तरफ खिंचता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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