डीएनए हिंदी: वास्तु शास्त्र में पूजाघर से जुडे़ कई नियमों के बारे में बताया गया है. ये नियम घर में सरकारात्मकता लाने और जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के सूत्र माने गए हैं. आइए जानतें हैं इनके बारे में-
पूजाघर से जुड़े वास्तुशास्त्र के 10 महत्वपूर्ण नियम-
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. इस दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिशा में ऊर्जा का भंडार होता है. वहीं अगर आप किसी कारणवश ईशान कोण में मंदिर नहीं बना पा रहे हैं तो उत्तर या पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण करवाएं.
- पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए. अगर पूर्व दिशा की ओर मुंह नहीं हो पा रहा है तो पश्चिम दिशा भी शुभ मानी गई है.
- घर के मंदिर को कभी भी सीढ़ियों के नीचे नहीं बनवाना चाहिए. सीढ़ियों के नीचे मंदिर होने से व्यक्ति के जीवन में परेशानियां ही परेशानियां रहती हैं. इसके अलावा धन की भी हानि होती रहती है.
- पूजा घर को कभी भी बेसमेंट में नहीं बनवाना चाहिए अन्यथा व्यक्ति को पूजा का फल नहीं प्राप्त होता है.
- वास्तु के मुताबिक, पूजा घर में सफेद या क्रीम कलर का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
- इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि देव प्रतिमा या देवी-देवताओं की फोटो एक-दूसरे के सामने नहीं होना चाहिए.
- पूजाघर में भगवान की प्रतिमा या फोटो के समाने पैसे और गहनों की अलमारी न हो.
- पूजाघर में रुपए या किसी भी तरह का धन छिपाकर नहीं रखना चाहिए.
- पूजाघर में देवी-देवताओं की प्रतिमा या फोटो कहीं से भी खंडित यानी न हों, अगर ऐसा है उन्हें तुरंत ही हटा देना चाहिए.
- पूजा घर में शंख रखना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियों को खत्म कर वातावरण को शुद्ध किया जा सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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