डीएनए हिंदी: वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि सभी दिशाओं के स्वामी अलग-अलग हैं. इनमें से धन का देवता यानी कुबेर को उत्तर दिशा का स्वामी माना गया है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग उत्तरमुखी घर बनाने की इच्छा रखते हैं. माना जाता है कि अगर घर की उत्तर दिशा में किसी प्रकार का वास्तु दोष नहीं है तो धन-दौलत में क्रमशः वृद्धि होती है. वहीं जिस घर में उत्तर दिशा से संबंधित वास्तु के नियमों का ध्यान नहीं रखा जाता है, उस घर में रहने वालों को कष्टों का सामना करना पड़ता है. आइए जानते हैं उत्तर दिशा से संबंधित कुछ अन्य वास्तु के नियमों के बारे में-
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तरमुखी घर में सैप्टिक टैंक और पानी का निकास दक्षिण दिशा में रखना अनुकूल नहीं होता है. इसकी वजह घर की महिलाओं को कष्टों का सामना करना पड़ता है.
- वहीं उत्तर-पश्चिम दिशा में मुख्यद्वार के पास भूमिगत पानी की टंकी या बोरिंग भी वास्तु दोष उत्पन्न करता है. ऐसे घर में रहने वाली महिलाओं का मन अधिक चंचल रहता है. वे घर में कम ठहरती हैं. साथ ही ऐसे घरों में चोरी की संभावना भी बढ़ जाती है.
- उत्तरमुखी घर का मुख्य दरवाजा पूरब की बजाय पश्चिम दिशा की ओर है तो घर के लोग अधिक समय तक स्थिर नहीं रह पाते हैं. ऐसे घर के मालिक को धन कमाने के लिए अधिकांश समय बाहर ही रहना पड़ता है.
- इसके अलावा कहा गया है कि उत्तरमुखी जमीन में पश्चिम दिशा में खाली जगह नहीं छोड़ना चाहिए, ऐसे मकान में रहने वाले पुरुषों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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अन्य खास बातें
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक, उत्तर दिशा घर के मध्य भाग से नीचा होना चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख-शांति रहती है.
- घर की उत्तर दिशा में पूजा घर या गेस्ट रूम रखना शुभ है. साथ ही उत्तर दिशा की दीवार न तो टूटी हुई होनी चाहिए और न ही उसमें दरार होनी चाहिए. ऐसा होने पर परिवार के सदस्यों के बीच दूरियां बढ़ने लगती है.
- भूमिगत वाटर टैंक पूर्व-उत्तर में बनवाना चाहिए. इससे घर में रहने वालों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है.
- इस दिशा में बाथरूम या टॉयलेट नहीं बनवाना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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