Vivah Panchami 2021: वैवाहिक जीवन में आ रही है बाधा तो आज के दिन करें ये काम

| Updated: Dec 08, 2021, 03:17 PM IST

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन भगवान श्रीराम और सीता जी का विवाह हुआ था, जिस कारण इसे श्रीराम विवाहोत्सव भी कहा जाता है.

डीएनए हिंदी: आज यानी आठ दिसंबर (बुधवार) को विवाह पंचमी है. हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन भगवान श्रीराम (Lord Ram) और सीता जी (Sita Ji) का विवाह हुआ था, जिस कारण इसे श्रीराम विवाहोत्सव भी कहा जाता है. 

मिलता है मनचाहा वर

कहा जाता है कि अगर किसी के भी वैवाहिक जीवन में कोई समस्या हो या किसी की शादी होने में कोई बाधा आ रही हो तो उसे आज के दिन भगवान राम और सीता जी का विवाह कराना चाहिए. ऐसा करने से उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. विवाह पंचमी के दिन भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन श्री राम और माता सीता की श्रद्धापूर्वक पूजा-अराधना करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.

विवाह पंचमी की पूजा विधि

  • सबसे पहले घर में भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें.
  • अब भगवान गणेश का ध्यान कर शादी की रस्म को शुरू करें.
  • इस दौरान हनुमान जी की पूजा कर उनका आह्वान जरूर करें. कहा जाता है कि हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त हैं और मां सीता को सबसे अधिक प्रिय हैं.
  • अब माता सीता और भगवान श्री राम को माला पहनाएं और उनका गठबंधन करें.
  • भगवान को भोग लगाएं और आरती करें.

 

राम-सीता विवाह कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मिथिला की राजकुमारी सीता जी ने एक बार भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था जिसे दिख राजा जनक आश्चर्यचकित रह गए थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उस धनुष को केवल परशुराम ही उठा सकते थे. बस तभी से राजा जनक ने ठान ली थी कि सीता से केवल वही विवाह कर सकता है जो भगवान शिव के इस धनुष को उठा लेगा. माता सीता के स्वयंवर की घोषणा कर दी गई साथ ही घोषणा में राजा जनक की इस शर्त को भी शामिल किया गया. 

स्वयंवर की जानकारी मिलने का बाद महर्षि वशिष्ठ भी भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर मिथिला की राजधानी जनकपुर पहुंचे. स्वयंवर में कई राजकुमार आए. बारी-बारी से सभी ने शिव धनुष उठाने का  प्रयास किया लेकिन उठाना तो दूर कोई धनुष को हिलाने में भी सफल नहीं हो पाया. यह देख जनक जी निराश हो गए. तब महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव धनुष उठाने की आज्ञा दी. 

गुरु की आज्ञा मिलने के बाद राम ने एक हाथ से धनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, तभी वह टूट गया. यह देखकर जनक जी खुश हुए और फिर राम और सीता जी का विधिपूर्वक विवाह कराया गया.