Marriage Boundation: 28 नवंबर का मुहूर्त शादी के लिए बेहद शुभ, फिर भी इस दिन बेटियों का विवाह क्यों नहीं करते लोग?

Written By ऋतु सिंह | Updated: Nov 26, 2022, 08:22 AM IST

Marriage Boundation: इस दिन बेटियों का विवाह क्यों नहीं करते लोग?

क्या आपको पता है कि एक मुहूर्त ऐसा भी है जो विवाह के लिए बेहद शुभ होता है लेकिन इस दिन लोग बेटी की शादी करने से बचते हैं, क्यों? चलिए जानें.

डीएनए हिंदी: मार्गशीर्ष माह के शुक्‍ल पक्ष की पंचमी पर अबूझ मुहूर्त (Abujh Vivah Muhurat) होता है और विवाह के लिहाज से ये उत्‍तम माना जाता है. बावजूद इसके लोग इस दिन अपने बच्‍चों का विवाह नहीं करते हैं. इसे पीछे पौराणिक वजह है. 
 
 भगवान राम और सीता से अबूझ मुर्हूत जुड़ा हुआ है. इस मुहूर्त को विवाह पंचमी (Vivah Panchmi : Shubh Vivah Muhurat) के नाम से भी जाना जाता है. ये तिथि अत्यंत ही उत्तम होती है और इस दिन भगवान राम और सीता का विवाह भी हुआ था. मान्‍यता है कि ये वो दिन होता है जब देवता मंगलगीत गाते हैं और उनका आशीर्वाद आसमान से बरसता है लेकिन बावजूद विवाह करने से लोग बचते हैं. 

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इस परंपरा को खासकर उस स्थान पर ज्यादा माना जाता है जहां माता सीता का बचपन बीता अर्थात मिथिला में.  जी हां, यहां विशेष रूप से लोग अपनी कन्याओं का विवाह इस तिथि पर नही किया करते.


भृगु संहिता में मिलता है उल्लेख 
 
यह दिन विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त (Abujh Muhurat) कहा गया है. भृगु संहिता में ऐसा ही उल्‍लेख है. माना जाता है कि इसी दिन विवाह होने की वजह से ही माता सीता को इतना कष्ट भोगना पड़ा. पति के रूप में राम को पाने के बाद भी उन्हें वैवाहिक सुख नही मिला, उनका जीवन में दुखों में बीता. 14 वर्ष वनवास के बाद भी मिथ्या कलंक के कारण वे फिर वन में भेज दी गईं, और जब उनकी पुनः प्रभु श्रीराम से अपने पुत्रों के साथ मुलाकात हुई तो उन्हें फिर परीक्षा से गुजरना पड़ा और अंत में वे धरती में समा गईं. 

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राम-जानकी विवाह प्रसंग तक
यही वजह है कि उत्तम मुहूर्त होने के बाद भी इस दिन विवाह नही किए जाते. इस दिन रामचरितमानस का पाठ भी राम-जानकी विवाह प्रसंग तक ही पढ़ा जाता हैं. इसके बाद माता सीता के दुखों का वर्णन है. जिसकी वजह से यह आगे नही पढ़ा है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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