Vrishabha Sankranti 2023: कब है वृषभ संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और संक्रांति के विशेष उपाय

Written By Aman Maheshwari | Updated: May 12, 2023, 08:10 AM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Vrishabha Sankranti 2023: सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं उसे उसी राशि की संक्रांति के नाम से जाना जाता है. मई महीने में सूर्य ग्रह वृषभ राशि में गोचर करेंगे.

डीएनए हिंदीः सूर्य ग्रह (Surya Grah) के राशि परिवर्तन को संक्रांति (Sankranti 2023) के रूप में जाना जाता है. सूर्य ग्रह साल भर में 12 बार राशि परिवर्तन करते हैं. सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं उसे उसी राशि की संक्रांति (Vrishabha Sankranti 2023) के नाम से जाना जाता है. मई महीने में सूर्य ग्रह गोचर करेंगे. सूर्य ग्रह मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में गोचर (Vrishabha Sankranti 2023) करेंगे. सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश को वृषभ संक्रांति (Vrishabha Sankranti 2023) के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में संक्रांति (Vrishabha Sankranti 2023) का विशेष महत्व होता है. इस दिन स्नान दान और पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व होता है. तो चलिए मई माह में वृषभ संक्राति (Vrishabha Sankranti 2023) के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में बताते हैं.

वृषभ संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrishabha Sankranti 2023 Shubh Muhurat)
वृषभ संक्रांति 15 मई 2023 को मनाई जाएगी. वृषभ संक्रांति पर पुण्य काल का समय सुबह 05ः31 पर शुरू हो जाएगा जो 11ः58 तक रहेगा तो वहीं महापुण्य काल का समय 09 बजकर 42 मिनट से सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक होगा. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष लाभ मिलते हैं.

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वृषभ संक्रांति पूजा विधि (Vrishabha Sankranti 2023 Puja Vidhi)
वृषभ संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए. संक्रांति के दिन सूर्य देव को जल का अर्घ्य अवश्य दें. इस दिन घर के मंदिर में घी का दीपक जलाकर व्रत  करने का संकल्प लें. संक्रांति पर दान करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान करें.

वृषभ संक्रांति उपाय
- वृषभ संक्रांति पर कई उपाय किए जाते हैं. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के दिन व्यक्ति को जमीन पर सोना चाहिए. 
- संक्रांति के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. संक्रांति पर वस्त्र और अन्न का दान करने से भी विशेष लाभ मिलते हैं.
- संक्रांति के दिन पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से भी पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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