Gemstone Astrology: कौन सी राशि वाले पहन सकते हैं ओपल? शुक्र के इस रत्न से बदल जाएगी किस्मत, बढ़ेगी सुख-समृद्धि

Written By ऋतु सिंह | Updated: Jan 10, 2024, 01:28 PM IST

Opal Gems Benefits

शुक्र का रत्न ओपल रखने से व्यक्ति के सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है, साथ ही व्यक्तित्व आकर्षक बनता है. लेकिन यह रत्न हर किसी के लिए नहीं होता है.

डीएनए हिंदीः रत्नशास्त्र में नवग्रह नटी और अन्य रत्नों का उल्लेख है. इन 9 रत्नों पर नवग्रहों का आधिपत्य है. इसके अलावा, विभिन्न रत्नों में एक या एक से अधिक अतिशयोक्ति होती है, जो संबंधित ग्रहों से जुड़े होते हैं. ऐसे ही एक रत्न का उल्लेख रत्न शास्त्र में मिलता है. यह ओपल रत्न है. शास्त्रों के अनुसार ओपल का संबंध शुक्र से है.

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सुख, वैवाहिक सुख, विलासिता, ऐश्वर्य, कला, प्रतिभा, सौंदर्य, रोमांस, वासना, फैशन डिजाइनिंग आदि का स्वामी कहा जाता है. इसलिए यदि आप शुक्र ग्रह का अच्छा प्रभाव पाने के लिए ओपल रत्न धारण करते हैं तो आपको उपरोक्त मामलों में सफलता मिल सकती है. ओपल धारण करने से व्यक्ति की समाज में लोकप्रियता बढ़ती है. साथ ही वैवाहिक रिश्ते भी मजबूत होते हैं. यह रत्न किसके पास हो सकता है और इसके क्या फायदे हैं, इस पर विस्तार से चर्चा की गई है.

इस राशि के लोगों के पास ओपल हो सकता है

  • वैदिक ज्योतिष के अनुसार ओपल रत्न वृषभ और तुला राशि के लिए शुभ होता है. इन दोनों राशियों का स्वामी शुक्र है. तो शुक्र का रत्न वृषभ और तुला राशि के जातकों के पास हो सकता है.
  • इसके अलावा कुंभ और मकर राशि के स्वामी शनि के साथ शुक्र की मित्रता होने के कारण इन दोनों राशियों के जातकों के लिए ओपल पहनना अच्छा रहता है.
  • दूसरी ओर यदि शुक्र कोष्टी में उच्च स्थिति में हो तो ओपल रत्न प्राप्त किया जा सकता है.
  • ओपल के साथ माणिक और पुखराज कभी न पहनें.
  • लेकिन ओपल और नीलम को एक साथ रखा जा सकता है.
  • फिल्म, फैशन डिजाइनिंग, कला और मीडिया से जुड़े लोगों को यह रत्न पहनना शुभ फल देता है.

ओपल रखने के फायदे

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ओपल रत्न धारण करने से व्यक्ति को भाग्य का साथ मिलता है. इनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.
  • यदि पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता हो तो यह रत्न धारण करना चाहिए.
  • ओपल रखने से व्यक्तित्व में निखार आता है.

ओपल धारण करने के नियम
शास्त्रों के अनुसार इस रत्न को शरीर के वजन के अनुसार ही धारण करना चाहिए. इस रत्न को चांदी के लॉकेट या अंगूठी में धारण करें. शुक्रवार की सुबह स्नान-पूजा के बाद ओपल अंगूठी या लॉकेट को गाय के दूध और गंगाजल से साफ कर लें. इसके बाद आप इस रत्न की अंगूठी को अपनी तर्जनी उंगली में पहन सकते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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