हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को हमेशा से महत्वपूर्ण रही है और अमावस्या पर पितरों को दान और तर्पण के साथ देवी लक्ष्मी और शिव, पार्वती और विष्णुजी की पूजा का भी विधान है. इस दिन कई धार्मिक कार्य किये जाते हैं. इस दिन गंगा स्नान और पितरों का तर्पण करने के साथ-साथ पितरों को तर्पण करना बहुत शुभ बताया गया है. साथ ही पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा भी की जाती है. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या पर दान-पुण्य करने से पूरे परिवार में सुख-शांति, सौभाग्य और धन-धान्य की बढ़ोतरी होती है.
सोमवती अमावस्या का महत्व
सोमवती अमावस्या का गहरा महत्व है. यह पूर्वजों की पूजा, पितृ तर्पण और आध्यात्मिक विकास को समर्पित दिन है. इस दिन पितरों का पृथ्वी पर आगमन होता है. भक्तों का मानना है कि इस दौरान प्रार्थना, तर्पण और दान करने से उनका आशीर्वाद और प्यार मिलेगा. सोमवती की अमावस्या को आध्यात्मिक नवीनीकरण, आत्मनिरीक्षण और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति के लिए एक शुभ समय माना जाता है. पवित्र संस्कार और अनुष्ठान करके, भक्त अपने पूर्वजों और परमात्मा के साथ अपने बंधन को मजबूत कर सकते हैं. इससे शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है.
सोमवती अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त
- सोमवती अमावस्या 2024 तिथि - सोमवार 2 सितंबर 2024
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:29 AM से 05:14 AM तक
- प्रातः काल मुहूर्त - 04:51 AM से 05:59 AM
- अभिजीत मुहूर्त - 11:56 AM से 02:00 PM 47
- विजय मुहूर्त- 2:29 PM से 03:19 PM
- संध्या मुहूर्त- 06:43 PM से 07:06 PM
- अमृत काल- 12:48 PM से 02:31 PM तक.
अमावस्या पूजा विधि
- इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने और व्रत रखने का संकल्प लेती हैं. गणेश जी को प्रणाम. भगवान का अभिषेक पंचामृत के साथ गंगाजल से करना चाहिए.
- अब भगवान को चंदन, अक्षत और फूल चढ़ाएं. मंदिर में घी का दीपक जलाएं. पूजा के दौरान फल, फूल और मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं.
- इसके बाद महिलाएं व्रत कथा सुनती हैं. वे शिव, पार्वती और विष्णु की पूजा करते हैं.
- अंत में आरती और नैवेद्य अर्पित करें.
- पूजा में जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं.
- इस दिन व्रत करने से पति को लंबी उम्र मिलती है. ऐसा माना जाता है कि इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
अमावस्या पर क्या करें
सोमवतीअमावस्या पर भक्त दिन के आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए एक पवित्र पूजा अनुष्ठान करते हैं. अनुष्ठान की शुरुआत किसी पवित्र नदी या घर पर पवित्र स्नान से होती है, जिसके बाद शिव, विष्णु और पूर्वजों की पूजा की जाती है. भक्त अपने पूर्वजों को तर्पण, जल, तिल और दूध का मिश्रण अर्पित करते हैं. भगवान को फूल और धूप अर्पित की जाती है. दान अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भक्त जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें दान करते हैं.
अमावस्या पर क्यों होती है लक्ष्मी पूजा
अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है. इनके जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं. जिन लोगों को धन की समस्या है उन्हें इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. शाम के समय लक्ष्मी जी के लिए दीपक जलाना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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