What is Religion: धर्म का अर्थ क्या है? रामायण की ये बातें जान लीं तो दूर होगा जीवन का सारा संशय

Written By ऋतु सिंह | Updated: May 04, 2024, 07:08 AM IST

धर्म का अर्थ

religion meaning: रामायण सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि यह जीवन के कई मूल्य और नैतिकता सिखाती है. यह हमें सत्य, धर्म, कर्तव्य, प्रेम और त्याग का महत्व बताता है. रामायण बताती है कि सच्चा धर्म क्या है. ये भी जानिए..

रामायण हिंदू धर्म के दो महाकाव्यों में से एक है. संस्कृत महाकाव्य रामायण की रचना महर्षि वाल्मिकी ने की थी. रामायण भगवान राम की जीवन कहानी पर आधारित है जिन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. रामायण की कहानी अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्रों में सबसे बड़े भगवान राम के वनवास से शुरू होती है. वनवास के दौरान रावण के साथ युद्ध और वनवास के बाद अयोध्या के सिंहासन पर बैठने का वर्णन करता है. लेकिन इन सब से परे रामायण में धर्म का भी उल्लेख मिलता है.

अगर आपके मन में धर्म को लेकर ये सवाल उठता है कि धर्म क्या है तो आपको रामायण को जरूर पढ़ना चहिए. आज आपको रामायण से निकले कुछ अंशों के जरिये ही बताएंगें की धर्म है क्या?

रामायण के अनुसार धर्म क्या है?
रामायण के अनुसार धर्म केवल अध्यात्म नहीं है. यह व्यक्तिगत आचरण, सामाजिक कर्तव्य और नैतिक मूल्यों का संयोजन है. यह सत्य, न्याय, दया, कर्तव्यपरायणता, त्याग, नैतिकता और सामाजिक कल्याण जैसे गुणों को बढ़ावा देता है. रामायण हमें बताती है कि धर्म का पालन करके हम एक अच्छा जीवन जी सकते हैं और समाज को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं.
 
नीति
नैतिकता का अर्थ है सही और गलत के बीच अंतर समझना. रामायण में नैतिकता को धर्म का अभिन्न अंग माना गया है. भगवान राम सदैव नैतिकता के मार्ग पर चले. वह हर परिस्थिति में सही निर्णय लेते थे.

त्याग करना
त्याग धर्म का एक महत्वपूर्ण गुण माना जाता है. अपनी इच्छाओं और सुखों का त्याग करके स्वयं को दूसरों के लिए समर्पित कर देना ही त्याग कहलाता है. भगवान राम त्याग के प्रतीक हैं. वह अपनी मां कैकेयी को दिया वादा पूरा करने के लिए राजसी सुख त्यागकर वनवास चले जाते हैं.

कर्म योग
रामायण में कर्म योग को धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया गया है. परिणाम की चिंता किये बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना ही कर्म योग का मुख्य बिंदु है. भगवान राम को कर्म योग का सर्वोत्तम उदाहरण कहा जा सकता है. वनवास जैसी कठिन परिस्थिति में भी उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन किया.

समाज कल्याण
रामायण में धर्म का अर्थ व्यक्तिगत मोक्ष तक सीमित नहीं है. इसका मतलब समाज की भलाई के लिए काम करना भी है. भगवान राम ने अपने जीवन का उद्देश्य लोगों की सेवा करना और उन्हें कष्टों से मुक्त करना था. उन्होंने अपने परिवार से ज्यादा प्राथमिकता समाज को दी.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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