Teej Sindhara: क्या होती है सिंधारे की रस्म, क्या आपको पता है गंगौर में भी होता है सिंधारा?

| Updated: Jul 18, 2022, 01:43 PM IST

Hariyali Teej 2022 में होती है सिंधारे की रस्म, जानिए क्या होती है यह रस्म और किन बातों का रखना होता है खयाल,

डीएनए हिंदी: सावन (Sawan 2022)  का महीना त्योहारों के मामले में काफी खास होता है क्योंकि इस महीने कई त्योहार आते हैं. सुहागिन के लिए यह महीना वैसे भी बहुत खास होता है. इस महीने में ही रक्षाबंधन (Rakshabandhan 2022) और तीज (Hariyali Teej 2022) का त्योहार भी आता है. इसी तीज पर सिंधारा भी मनाया जाता है. यह रस्म ज्यादातर राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में ही होती है.

इस साल 31 जुलाई को हरियाली तीज है और उससे एक दिन पहले सिंधारे (Sindhara) की रस्म होती है. पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं तीज का व्रत रखती हैं. कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत रखने से खुशनुमा जीवन मिलता है. आज हम आपको तीज में सिंधारे के महत्व के बारे में बताएंगे.

हरियाली तीज तारीख  (Hariyali Teej Date in Hindi)

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है. इस साल 31 जुलाई 2022 को सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी. ऐसे में जो महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं उनके लिए पूजा का शुभ समय सुबह 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 33 मिनट तक है. 

क्या है सिंधारा 

सिंधारा दरअसल, सुहागिनों (Married Women) के लिए बहुत खास है. इस दिन वे लोग माइके से आए साज-श्रृंगार के सामानों से तैयार होती हैं. सिंधारे पर दुल्हन के माइके से उसके लिए खूब सारी मिठाईयां आती है. वह नए कपड़े पहनकर, मेहंदी लगाती हैं और अपनी पसंदीदा चीजें खाती हैं. 

सिंधारा भेजने से पहले कुछ बातों का रखें खयाल (Keep this things in Mind)

वैसे तो सिंधारे का सामान माइके से ही आता है लेकिन उसे भेजने का एक तरीका होता है. लड़की के माइके से उसका भाई या कोई अपना सिंधारा लेकर उसके ससुराल आते हैं. ऐसा नहीं होता कि कभी भी यह सामान भेज दिया जाए क्योंकि इसमें शगुन होता है. तीज से एक दिन पहले सिंधारा भेजना का रिवाज है. इस सिंधारे के सामान में माता-पिता का आर्शीवाद होता है इसलिए इसे शगुन देखकर भेजा जाता है. कई बार रक्षाबंधन पर जब बेटी माइके जाती है तब भी ये शगुन उसके हाथों में दे दिया जाता है 

गंगौर और रक्षा बंधन का सिंधारा (Gangaur Sindhara)

साल में दो तरह के सिंधारे आते हैं, एक गंगौर में यानी होली के वक्त और दूसरी सिंधारा तीज में आता है. राजस्थान में दोनों ही सिंधारे बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं.