हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व है. दिवाली हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. तेलुगु पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन कुछ व्यापारी पद्यमी तिथि को दिवाली मनाते हैं. दिवाली का यह त्यौहार हमारे देश के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में भी मनाया जाता है.
जहां सभी त्यौहार एक या दो दिन मनाए जाते हैं वहीं दिवाली पांच दिन मनाई जाती है. यह त्यौहार धन त्रयोदशी से शुरू होता है. दिवाली पर लक्ष्मी गणेश और कुभेर की पूजा की जाती है. इस पृष्ठभूमि में, हर कोई पहले से ही दिवाली त्योहार की तैयारी कर रहा है. नवरात्र खत्म होते ही दिवाली पर फूल मालाएं और विशेष सजावट की जाएगी. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कई लोग मानते हैं कि दिवाली के दौरान देवी लक्ष्मी वैकुंठ से पृथ्वी पर आती हैं. इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि सजावट और साफ-सफाई वाला घर ही घर होता है. इस बीच इस साल दिवाली का त्योहार कब मनाया जाएगा.. आइए अब जानते हैं इस त्योहार का महत्व...
31 अक्टूबर या 1 नवंबर कब है दिवाली
शास्त्रों के अनुसार दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है. लेकिन इस बार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर और 01 नवंबर दो दिन आई. इससे सभी में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई. लेकिन वैदिक कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे शुरू होगी. यह अगले दिन शाम 5:14 बजे तक जारी रहता है. उसके बाद पद्यमी तिथि प्रारंभ हो जाती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, दिवाली पर अमावस्या तिथि के प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद से आधी रात तक देवी लक्ष्मी की पूजा करने की प्रथा है. इसलिए विद्वानों का कहना है कि इस बार 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशिता मुहूर्त में मनाना शुभ है.
दिवाली पूजा अच्छा समय
दिवाली पूजा के लिए अनुकूल समय: 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार शाम 6:27 बजे से रात 8:32 बजे तक है.
दिवाली पूजा के लिए निशिता मुहूर्त: 31 अक्टूबर रात 11:39 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक
प्रदोष काल: शाम 5:35 बजे से शाम 8:11 बजे तक :11 अपराह्न
वृषभ काल: सायं 6:21 बजे से रात्रि 8:17 बजे तक
दिवाली कैलेंडर 2024
धन त्रयोदशी 29 अक्टूबर 2024
नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली 30 अक्टूबर 2024
दिवाली, लक्ष्मी पूजा 31 अक्टूबर 2024
गोवर्धन पूजा 02 नवंबर 2024
भाई दूज 03 नवंबर 2024
पूजा सामग्री आवश्यक
दिवाली पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से पहले केसर, अक्षिंत (पीले चावल), पान के पत्ते, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्ती, मिट्टी के दीपक, कपास, शहद, दही, गंगा जल, गुड़, धनिया, फल , फूल, जौ, गेहूं, चंदन, सिन्दूर, दूध, छुआरे, सफेद कपड़े, कमल के फूल, शंख, चांदी का सिक्का, आम, तैयार रखना चाहिए.
गहन आराधना कि दिशा से लेकर पूजा का तरीका तक सब जान लें
दिवाली के दिन उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा को साफ करके स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. इस पर कुल्हाड़ियाँ बनाएँ. इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर स्थापित करना चाहिए. इस पर देवी लक्ष्मी, विनायक की तस्वीर या मूर्ति रखनी चाहिए. सबसे पहले इसे गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए.
पूजा की शुरुआत गणेश मंत्रों से करनी चाहिए. देवी लक्ष्मी भगवान गणेश की पूजा करने के बाद आखिरी आरती देनी चाहिए. सभी को मिठाइयाँ और प्रसाद बाँटना चाहिए. आपके घर का कोना-कोना सुबह-शाम जगमगाता रहना चाहिए. विद्वानों का कहना है कि ऐसा करने से आपको देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से