Dussehra Muhurta: कब है दशहरा का सबसे शुभ मुहूर्त? जान लें रावण दहन का सही समय भी?

| Updated: Oct 11, 2024, 07:54 AM IST

Dussehra

दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. दशहरा आश्विन माह में मनाया जाता है. जानिए विजयादशमी की तिथि, समय और महत्व.

विजय दशमी यानि दशहरा हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. सनातन धर्म में इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन रावण का दहन किया जाता है. तो आइए जानते हैं इस बार दशहरा (विजयदशमी) कब है.

दशहरा कब है?
इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10.58 बजे से शुरू हो रही है, जो 13 अक्टूबर को सुबह 9.08 बजे तक रहेगी. दशहरा पर्व उदयातिथि के अनुसार 12 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है. अत: यह दिन विजयादशमी है.
 
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने विजयादशमी के दिन ही रावण का वध किया था. उसी समय देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था, इसलिए कई स्थानों पर इसे विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है. कई राज्यों में दशहरे की तिथि पर रावण की पूजा करने का भी विधान है. दशहरे से 14 दिन पहले पूरे भारत में रामलीला का आयोजन किया जाता है. इसमें भगवान राम, श्री लक्ष्मण और सीताजी के जीवन को दर्शाया गया है. दशहरा शुभ एवं पवित्र तिथियों में गिना जाता है. इस वजह से अगर किसी को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है तो वह इस दिन विवाह कर सकता है.
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दशहरा पूजा अनुष्ठान
सराया की पूजा अभिजीत, विजया या दोपहर के समय की जाती है. दशहरा पूजा घर के ईशान कोण में किसी शुभ स्थान पर की जा सकती है. पूजा स्थल को गंगा जल से साफ करें और चंदन का लेप लगाएं. इसके बाद आठ कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल चक्र बनाएं. इसके बाद संकल्प मंत्र का जाप करें. अपराजिता देवी से पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें.

दशहरा का महत्व
12 अक्टूबर, शनिवार को दशहरा पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान राम और देवी जय-विजया की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय का आशीर्वाद मिलता है. 'विजय मुहूर्त' पर हथियारों की पूजा की जाती है और सूर्यास्त के बाद पारंपरिक रूप से रावण का पुतला जलाया जाता है.

विजयादशमी अबूझ मुहूर्त  

दशहरा को "अबूझ मुहूर्त" के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि पूरा दिन व्यापार, यात्रा, शस्त्र पूजा, संपत्ति सौदे और अधिक जैसे नए उद्यम शुरू करने के लिए अनुकूल माना जाता है. हालाँकि, ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान, देवता अपनी विश्राम अवस्था में होते हैं, इसलिए विवाह और घरेलू समारोह नहीं किए जाते हैं.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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