सर्व पितृ अमावस्या के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण साल का आखिरी ग्रहण है. यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. इससे पहले 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगा था. नवरात्रि से एक दिन पहले सूर्य ग्रहण होना ज्योतिषीय दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण घटना है.
ग्रहण क्यों नहीं माना जा रहा शुभ
ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टियों से महत्व है. एक के बाद एक दो ग्रहण का होना शुभ नहीं माना जाता है. जिस स्थान पर यह ग्रहण दिखाई देगा वहां लोगों को प्राकृतिक आपदा, महामारी और आर्थिक समस्या जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में होगी अमावस्या
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में हो रहा है. जिसके कारण कन्या राशि वालों को बीमारी का सामना करना पड़ सकता है. इस राशि के लोगों को ग्रहण नहीं दिखेगा. इसके अलावा ग्रहण काल के दौरान न सोएं और न ही मनोरंजन में समय व्यतीत करें.
6 घंटे तक रहेगा ग्रहण
भारतीय समय के मुताबिक यह सूर्य ग्रहण रात 9 बजकर 13 मिनट से स्पर्श करेगा. इसके बाद यह ग्रहण 6 घंटे तक रहेगा.
भारत में सूर्य ग्रहण का स्पर्श होगा
भारत में सूर्य ग्रहण का स्पर्श और मोक्ष रात के समय होने वाला है इसलिए यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. भारत में दिखाई न देने के कारण सूतक, स्नान और ग्रहण के अन्य नियम भी भारत में लागू नहीं होंगे.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.
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