डीएनए हिंदी: शनिदेव न्याय के देवता माने गए हैं. यदि शनिदेव किसी पर कुपित दृष्टि डाल देते हैं किसी का भी जीवन मृत्यु समान हो जाता है. शनिदेव की वक्र दृष्टि से इस भगवान शंकर तक नहीं बच सके थे. भगवान शिव तक से शनिदेव क्योंंकि नाराज हो गए थे और इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है, चलिए जाने.
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ये है पौराणिक कथा
भगवान भोलेनाथ पर शनिदेव की वक्रदृष्टि को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार एक बार शनिदेव अपने आराध्य भोलेनाथ के दर्शनों के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचे थे. उन्होंने भगवान भोले को प्रणाम कर पहले उनसे आशीर्वाद लिया फिर शनिदेव ने भगवान शिव को विनम्र भाव से बताया कि कल आपकी राशि में मेरी वक्र दृष्टि पड़ने वाली है. इस पर भोलेनाथ आश्चर्यचकित हुए और पूछा कि कितने वक्त के लिए शनिदेव की दृष्टि उनकी राशि में रहेगी.
इस पर शनिदेव ने सवा प्रहर तक ऐसा रहने की बात कही. शनिदेव की बात सुनकर भगवान भोलेनाथ उनकी कुदष्टि से बचने का उपाय सोचने लगे और अगले दिन वे कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर आ गए. इस दौरान उन्होंने वक्र दृष्टि से बचने के लिए हाथी का रूप धर लिया. सूर्यास्त के बाद जब वक्र दृष्टि का प्रहर बीत गया तो शिव जी दोबारा अपने वास्तविक रूप में आ गए और प्रसन्न होकर कैलाश पर्वत पर लौट गए.
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जब शिव जी कैलाश पर्वत पर पहुंचे तो वहां पहले से ही शनिदेव विराजमान थे. इस पर शिवजी ने शनिदेव को देखकर कहा कि आपकी वक्रदृष्टि का मुझ पर असर नहीं हुआ है .इस पर शनिदेव ने प्रभु से क्षमा मांगते हुए कहा कि मेरी वक्र दृष्टि के ही कारण आपको देव योनि से पशु योनि में पृथ्वी लोक पर इतने वक्त तक वास करना पड़ा है. शनि देव की ये बात सुनकर भगवान भोलेनाथ मुस्कुरा दिए और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया.
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