राखी बांधते हुए लोग हमेशा भद्राकाल के बारे में ध्यान रखते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि भद्राकाल की तरह ही कुछ और बातों का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि अगर नियम से राखी न बांधी जाए तो वह शुभ फल नहीं देती है.
राखी बांधते समय भाई के बैठने की दिशा से लेकर राखी में गांठ बांधने तक कई नियम हैं. हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व है. क्योंकि गलत दिशा की ओर मुंह करके बैठने पर भाई-बहन दोनों को दोष लगता है. कहा जाता है कि दोनों का स्वास्थ्य और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
उत्तर और पूर्व दिशा का है विशेष महत्व
सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन होता है और इस साल 19 अगस्त राखी बांधी जाएगी. रक्षाबंधन के दिन बहन को उत्तर दिशा की ओर और भाई को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. इसी प्रकार बैठकर भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधें. अगर इस तरह से राखी बांधी जाए तो इसका भाई-बहन के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
राखी बांधते समय आप कितनी गांठें लगाएंगी?
अपने भाई की कलाई पर राखी बांधते समय तीन बार गांठ लगाएं. शास्त्रों के अनुसार तीन बार गांठ लगाना शुभ होता है.
राखी बांधने का शुभ समय
हर साल रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का संवत रहता है. साथ ही भद्रे के अवसर पर राखी बांधना अशुभ माना जाता है. भद्रा काल रविवार 18 अगस्त को दोपहर 2:21 बजे शुरू होगा. अत: अगले दिन 19 अगस्त को दोपहर 1:25 बजे भद्रा काल समाप्त हो जाएगा. अत: 19 सितंबर को दोपहर 1:25 बजे के बाद राखी बांधनी चाहिए.
हिंदू धर्म में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. विवाह, मुंज, वास्तुशांति, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य न करें.
भद्रा काल क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा को सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन माना जाता है. भद्रा तीन लोक में निवास करती है. अर्थात भद्रा स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी लोक में निवास करती है. चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में है. तब भद्रा पृथ्वी पर होती है. ऐसे में इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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