डीएनए हिंदीः होली (Holi 2022) को बसंत ऋतु का बड़ा त्योहार माना जाता है. हर साल इसे हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रंगों का यह त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. वहीं भांग के बिना होली का त्योहार अधूरा माना जाता है. इस दौरान भांग का सेवन भी किया जाता है. भांग को सिर्फ ठंडाई ही नहीं लस्सी और पकोड़े के पूस में भी खाया जाता है.
क्या है भांग का धार्मिक महत्व
ऐसी धार्मिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जो विष निकला था वो शिव ने गले के नीचे नहीं उतरने दिया. ये विष बहुत गर्म था. जब उन्होंने इसका सेवन किया तो उन्हें गर्मी लगने लगी. विष की गर्मी को कम करने के लिए शिव ने भांग का सेवन किया. भांग को ठंडा माना जाता है. इसके बाद से भगवान शिव को भांग बहुत पसंद हैं. शिव की पूजा में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
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होली के दिन भांग का सेवन क्यों
होली पर भांग पीने की परंपरा है. हालांकि, ये शास्त्रीय परंपरा नहीं है. होली को लेकर कई कथाएं भी हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली के दिन भगवान शिव और विष्णु की दोस्ती के प्रतीक के तौर पर भांग का सेवन किया जाता है. कहा जाता है कि भक्त प्रहलाद को मारने की कोशिश करने वाले हिरण्यकश्यप का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह का रूप लिया. जब उन्होंने हिरण्यकश्यप का संहार किया तो वह इसके बाद काफी क्रोधित हो गए थे. उन्हें शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ अवतार लिया था. इसके अलावा कई अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं.
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भांग और सेहत का क्या नाता?
ऐसा माना जाता है कि होली के मौके पर हर्ष और उल्लास के चलते शरीर का तापमान बढ़ जाता है. मौसम भी इस दौरान थोड़ा गर्म होता है. शरीर का तापमान बढ़ने से चक्कर या असहजता महसूस होने लगती है. वहीं केमिकल वाले रंग होने के कारण इनमें गर्मी का स्तर भी ज्यादा होता है. ऐसे में भांग शरीर को ठंडा रखती है. वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, होली के वक्त रंगों और गुलालों का गुबार उड़ने से कपोल गर्म हो जाता है. जो आपके दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में भांग या भांग वाली ठंडाई इस गर्माहट हो ठंडा करने में मदद करती है.
(डिस्क्लेमर - यह जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.)