हिंदू धर्म में इतनी पवित्र क्यों मानी जाती है दूब ? इसके बिना अधूरी है भगवान गणेश की पूजा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 09, 2022, 11:13 AM IST

Lord ganesha doob pooja

हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य भगवान गणेश को दूर्वा अत्यधिक प्रिय है. उनकी पूजा में 21 दूर्वा चढाने से भगवान गणेश की असीम कृपा प्राप्त होती है.

डीएनए हिंदी: पूजा-पाठ में सबसे पहले Ganesh Ji को याद किया जाता है और उनके लिए सबसे पहले मंगवाई जाती है दूब. इसे दूर्वा भी कहते हैं. इस हरी घास को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र और पूजनीय माना जाता है. दूर्वा को दूब, अमृता, अनंता और महौषधि जैसे कई नामों से जाना जाता है. दूर्वा का प्रयोग विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा में खासतौर से किया जाता है. गणेश जी की पूजा दूर्वा के बिना अधूरी मानी जाती है.

धार्मिक कार्यों के लिए खास मानी जाने वाली यह दूर्वा हमारे शरीर को कई तरह से फायदे पहुंचाती है. दूब त्रिदोष को हरने वाली औषधि कही जाती है. शरीर के लिए फायदेमंद होने की वजह से ही इसका इस्तेमाल इलाज में भी किया जाता है.  

सीता से है दूर्वा का कनेक्शन

ऐसा कहा जाता है कि जब सीता जी धरती में समा गयी थीं तो श्री राम जी उन्हें पकड़ने की कोशिश की कोशिश की थी. इस कोशिश में उनके हाथ में उनके कुछ बाल आ गए थे जो कि आज दूर्वा के रूप में पूजे जाते हैं.

समुद्र मंथन से निकली दूर्वा

कुछ मान्यताओं के अनुसार दूर्वा समुद्र मंथन से निकली थी. अमृत प्राप्ति के लिए जब मंदार पर्वत को क्षीरसागर में मथा जा रहा था तब भगवन विष्णु ने उसे अपने जांघों पर धारण किया था जिससे उनके पैरो के कुछ बाल टूट कर समुद्र में गिर गए थे. जो मथने के कारण दूर्वा बन कर उत्पन्न हुए. समुद्र मंथन से निकलने के वजह से अमृत का कलश इसके ऊपर रखा गया था. जिससे उस कलश से कुछ बूंदें दूर्वा पर गिर गयीं. इससे दूर्वा अजर अमर हो गयी. आपने देखा होगा कि दूर्वा को कितना भी काट लो फिर भी उसकी जड़े निकल आती हैं.


दूर्वा चढ़ाने के आध्यात्मिक लाभ

हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य भगवान गणेश को दूर्वा अत्यधिक प्रिय है. उनकी पूजा में 21 दूर्वा चढाने से भगवान गणेश की असीम कृपा प्राप्त होती है. किसी भी पूजा या मांगलिक कार्य को सफल बनाने के लिए दूर्वा का शामिल होना बहुत जरूरी बताया गया है. यदि घर में पैसा नहीं टिक रहा और घर पर आर्थिक संकट बना हुआ है तो आप पंचदेवों में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को गणेश चतुर्थी या किसी शुभ मुहूर्त पर पांच दूर्वा में 11 गांठे लगाकर उन्हें चढ़ाएं.

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