आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी दशहरा या विजयादशमी को मनाया जाता है . इस साल दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन कुछ परंपराएं निभाई जाती हैं . जैसे रावण दहन, शमी पूजा, अप्टा पत्ता पूजा और शस्त्र पूजा . इनमें से शस्त्र पूजा की परंपरा वर्षों से चली आ रही है . आइए जानते हैं शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि विस्तार से...
शस्त्र पूजा का शुभ समय
पंचांग के अनुसार इस वर्ष दशहरा आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाएगा. दशहरा काल शनिवार को सुबह 10:58 बजे शुरू होगा और रविवार, 13 अक्टूबर को सुबह 09:09 बजे तक रहेगा . इस दिन शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे तक रहेगा.
देखें अन्य शुभ मुहूर्त
सुबह 11.50 बजे से दोपहर 12.36 बजे तक
दोपहर 12.13 बजे से दोपहर 01.39 बजे तक
अमृत मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 06 मिनट से शाम 04 बजकर 33 मिनट तक
ऐसे करें शस्त्र पूजा
दशहरे के दिन सुबह स्नान करके शुभ मुहूर्त में किसी साफ जगह पर देवी की तस्वीर रखें . घर में अस्त्र-शस्त्रों को देवी की तस्वीर के सामने व्यवस्थित करके रखें . घर के बर्तनों पर गंगा जल छिड़क कर पवित्र करें . इसके बाद लाल धागा बांधें और हल्दी-कुंकु लेकर दीपक जलाएं .
देवी को मिठाई का भोग लगाएं
शस्र पूजन के समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें-
अश्विनस्य सीते पक्षे दशमयां तारकोदये . स कालो विजयो ज्ञेय: सर्वक्यार्थसिद्धये .
शस्त्र पूजन क्यों किया जाता है?
पुराणों के अनुसार प्राचीन काल में महिषासुर नाम का एक राक्षस था . उसने देवताओं को हरा दिया था. उस समय त्रिदेव ने अपनी शक्ति से एक शक्ति की रचना की . इस शक्ति को देवी दुर्गा का नाम दिया गया . देवताओं ने देवी को अपने सभी हथियार देकर शक्तिशाली बना दिया . इन्हीं देवी ने महिषासुर का वध किया था . वध का वह दिन जब आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी . यही कारण है कि आसरस को महत्व देते हुए विजयादशमी के दिन शस्त्र पूजा की परंपरा निभाई जाती है
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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