डीएनए हिंदी: तीज के एक दिन पहले रात को महिलाओं को कलेवा कर लेना चाहिए और तीज के दिन नदी की चिकनी मिट्टी या काली मिट्टी से शिव परिवार को बनाना चाहिए. सुबह ही शिव परिवार की प्रतिमा बनाकर सूखने दें और शाम को पूजन करें.
शाम को मां पार्वती-शिव परिवार को स्नान-अर्चन के बाद व्रती महिलाओं को उन्हें दूध, दही, घी, मधु, शर्करा और सफेद मिष्ठान युक्तभोग लगाकर यथायोग्य विभिन्न प्रकार के आभूषण और नव वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद शाम के समय कथा श्रवण करें और मध्यरात्रि में विधि विधान से पूजन के बाद अगले दिन सुबह पूजन के बाद व्रत का पारण करें. रात भर भजन कीर्तन कर पूजन करने से शुभ फल मिलते हैं. पूजन के बाद बहती नदी या पवित्र पेड़ के नीचे शिव परिवार की प्रतिमा को विसर्जित कर दें.
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ये हैं शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज तिथि का आरंभ 29 तारीख को शाम 3:21 पर होगा और समाप्ति अगले दिन 30 तारीख को शाम 3:34 पर होगा. हरतालिका तीज की सुबह की पूजा पूजा 30 अगस्त को 9 :33 से 11: 05 तक की जा सकती है. शाम की पूजा के लिए 3:49 से लेकर 7: 23 तक का समय उत्तम रहेगा. इसके अलावा प्रदोष काल में 6 :34 से 8 :50 पर भी पूजा कर सकते हैं. पर्व की सुबह से ही शुभ योग बन रहा है जो रात 12.04 बजे तक बना रहेगा.
महिलाएं 24 घंटे तक रखती हैं हरतालिका तीज व्रत
हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है. इस व्रत के दौरान महिलाएं सुबह से लेकर अगले दिन सुबह सूर्योदय तक जल ग्रहण तक नहीं कर सकतीं. महिलाएं 24 घंटे तक बिना अन्न और जल के हरतालिका तीज का व्रत रहती हैं.
इस व्रत को कुंवारी लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं दोनों ही कर सकती हैं मान्यता है कि इस व्रत को जब भी कोई लड़की या महिला एक बार शुरू कर देती है तो हर साल इस व्रत को पूरे नियम के साथ करना पड़ता है. इस व्रत को आप बीच में नहीं छोड़ सकती हैं. कुंवारी कन्याओं को काली मिट्टी से बनी प्रतिमा का पूजन करना ज्यादा फलकारी माना गया है.
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इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनकर संवरती हैं, यानि पूरा सोलह श्रृंगार करती हैं. वहीं आसपास की सभी व्रती महिलाएं रात भर जगकर भजन और पूजन करती हैं. हरतालिका तीज के दिन रात्रि जागरण किया जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है.
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