CWG 2022: नहीं थे खाने तक के पैसे, पिता थे बस कंडक्टर, पढ़ें मेडल जीतने वाली प्रियंका गोस्वामी के संघर्ष की कहानी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 06, 2022, 05:07 PM IST

Priyanka Goswami Life Story: कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए पदक जीतने वाली प्रियंका गोस्वामी ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और कड़ी मेहनत के बाद आज वो कामयाबी के इस मुकाम पर पहुंची हैं.

डीएनए हिंदी: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत की बेटी प्रियंका गोस्वामी ने मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर दिया है. उन्होंने 10 किमी रेस वाकिंग (पैदल चाल) में सिल्वर मेडल जीता है. प्रियंका के लिए ये मेडल कई मायनों में खास है. ये ना सिर्फ उनका किसी बड़े इंटरनेशनल टूर्नामेंट का पहला मेडल है, बल्कि उनके करियर का एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट भी है. देश के लिए मेडल जीतने से पहले खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रियंका के जज्बे को सलाम कर चुके हैं. उन्होंने रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' में प्रियंका की काफी प्रशंसा भी की थी. प्रियंका ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं और कड़ी मेहनत के बाद ही आज वो इस मुकाम पर पहुंची हैं. 

कैसा रहा करियर का सफर

उनके जीवन की कहानी वाकई प्रेरणा देने वाली है. उन्होंने कामयाबी हासिल करने से पहले काफी आर्थिक तंगी का सामना किया और तमाम मुसीबतों के बाद भी कड़ी मेहनत जारी रखी. प्रियंका के पिता ने एक बस कंडक्टर के रूप में काम किया है और बेटी का हर मुश्किल पल में साथ दिया है. नौकरी छूट जाने के बाद भी उनके पिता ने बेटी को सफल बनाने की दिशा में ढेरों प्रयास किए हैं. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के फुगाना थाना क्षेत्र के गढ़मलपुर गांव की प्रियंका ने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की. 2006 में उनका परिवार यहां से मेरठ आकर बस गया.

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प्रियंका कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले टोक्यो ओलंपिक में भी शामिल हुईं थी और यहां भी फाइनल तक का सफर तय कर लिया था. उन्होंने नेशनल लेवल पर पांच, दस और 20 किमी रेस में कई मेडल जीते हैं. फरवरी 2021 में हुई 8वीं ओपन एंड थर्ड इंटरनेशनल रेस वाकिंग चैंपियनशिप में उन्होंने बेमिसाल रिकॉर्ड भी बनाया. उन्होंने एक घंटा 48 मिनट व 45 सेकंड में रेस पूरी कर रिकॉर्ड अपने नाम किया था.

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पैसे बचाने के लिए गुरुद्वारे में खाती थीं लंगर

पिता की नौकरी छूट जाने के बाद प्रियंका को लाइफ में और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ट्रेनिंग के लिए पटियाला कैंप गईं प्रियंका को उस वक्त खर्च के लिए महीने में सिर्फ 4 हजार रुपए ही मिलते थे. इतने कम पैसे में किसी भी एथलीट के लिए तैयारी करना आसान नहीं रहता. कठिनाइयों से गुजर रही प्रियंका ने पैसे बचाने के लिए दिन का खाना तक छोड़ दिया था और जब उन्हें भूख लगती थी तो वो गुरुद्वारे में लंगर खाकर अपनी भूख मिटाती थी.

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