CWG 2022: पड़ोसियों के तानों का मुक्के से जवाब देने वाली निकहत की कहानी है बेमिसाल, पढ़ें कैसे पहुंची यहां तक

Written By विवेक कुमार सिंह | Updated: Aug 07, 2022, 10:26 PM IST

Nikhat Zareen

Commonwealth Games 2022: बचपन से ही शरारती रहीं निकहत ने जब रिंग में सिर्फ लड़कों को लड़ते देखा, तब उन्होंने इस रिवाज को बदलने की ठान ली.

डीएनए हिंदी: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में निकहत जरीन ने गोल्ड मेडल जीत लिया है. उन्होंने एकतरफा मुकाबले में कनाडा की कार्ली एमसी नाउल को 5-0 से मात दी. निकहत की राह कॉमनवेल्थ खेलों में भले ही आसान रही लेकिन बॉक्सर बनने तक का सफर बहुत मुश्किल रहा है. 12 साल की उम्र में ही रिंग में उतरने वाली भारतीय मुक्केबाज को अपनी पहली ही बाउट में मुक्कों की बौछार झेलनी पड़ी थी और आंखों के नीचे खून बहने लगा था. निकहत की चोट ने उनके हौसले को बढ़ाया. उस हार के बाद निकहत ने कभी भी किसी भी मुकाबले को हल्के में नहीं लिया. 

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तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित 202 महिला बॉक्सिंग विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली निकहत, उन दिग्गज मुक्केबाजों की सूची में शामिल हो गईं, जिन्होंने भारत के लिए विश्व चैंपियनशिप जीता है. तेलंगाना के निजामाबाद से दुनिया की शीर्ष मुक्केबाज बनने तक का उनका सफर चुनौतियों से भरा रहा है. 14 जून 1996 में निकहत जरीन का जन्म रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार में हुआ. अपनी तीन बहनों में से निकहत बचपन से ही शरारती थी और पड़ोसियों के बच्चों से झगड़ा करती रहती थीं.

रिवाज बदलने रिंग में उतर गई निकहत

एक बार की बात है जब निकहत स्टेडियम में गई थीं और लड़कियां सभी खेलों में भाग ले रही थीं लेकिन बॉक्सिंग में उन्हें सिर्फ लड़के दिख रहे थे. उन्होंने अपने पिता से पूछा कि ऐसा क्यों है, तो पिता ने कहा कि लोग लड़कियों को इस खेल के काबिल नहीं समझते हैं, तभी निकहत ने इस खेल में झंडा गाडने की ठाल ली. हालांकि उन्हें शुरुआत में अपने ही पड़ोसियों से काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी. लेकिन उन सब को नजरअंदाज कर रिंग में विरोधियों पर पंच जड़ती रहीं. निकहत अपने वर्ग में गोल्ड मेडल की दावेदार मानी जा रही थीं और बिना किसी परेशानी के आसानी से उन्होंने गोल्ड पर कब्जा कर लिया. कॉमनवेल्थ निकहत के लिए सिर्फ एक सीढ़ी है. वो ओलंपिक में भी भारत का मान बढ़ा सकती हैं. 

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