CWG 2022: जानें कौन है सुशीला देवी, जिन्होंने भारत को दिलाया Commonwealth Games का 7वां पदक

Written By विवेक कुमार सिंह | Updated: Aug 01, 2022, 11:32 PM IST

Sushila Devi Likmabam wins silver

साल 2014 में आयोजित ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी सुशीला ने सिल्वर मेडल जीता था, वो इनके करियर का पहला पदक था.

डीएनए हिंदी: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय टीम ने सोमवार शाम को अपने पदकों की तालिका में एक और मेडल जोड़ लिया. भारतीय जूडोका एल सुशीला देवी ने राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के 48 किलो वर्ग में रजत पदक अपने नाम किया. सुशीला को फाइनल में बेहद करीबी मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका की मिशेला वाइटबूइ ने 4.25 मिनट में हराया. चार मिनट के नियमित समय में दोनों जूडो खिलाड़ी कोई अंक नहीं बना पाए थे. वाइटबूट ने इसके बाद गोल्डन अंक जुटा कर मुकाबला जीत लिया.

ग्लास्गो में भी जीता था रजत पदक

सुशीला ने ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल 2014 में भी रजत पदक जीता था . सुशीला ने इससे पहले सेमीफाइनल में मॉरीशस की प्रिसिला मोरांड को इप्पोन को शिकस्त देकर अपना पदक पक्का किया था. उन्होंने क्वार्टर फाइनल में मालावी की हैरियट बोनफेस को हराया था. ये भारतीय टीम का सांतवां पदक है. इससे पहले भारत ने सभी छह पदक वेटलिफ्टिंग में जीते हैं.

ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली जूडोका

भारतीय स्टार जूडोका लिकमाबम सुशीला देवी इंफाल के हेइंगांग मायई लीकाई की रहने वाली हैं. 1995 में जन्मी सुशीला अपने माता-पिता के चार बच्चों में दूसरी सबसे बड़ी हैं संतान हैं. शुरुआत से ही सुशीला में एक चैंपियन खिलाड़ी के लक्षण दिखने लगे थे, जहां उन्होंने शानदार प्रदर्शन के साथ करियर की शुरुआत की. राष्ट्रमंडल खेलों के लिए उनके चाचा, लिकमबम दीनीत जो एक अंतरराष्ट्रीय जूडोका रहे हैं, दिसंबर 2002 में सुशीला को खुमान लैम्पक ले गए. जहां उन्होंने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी. 2014 राष्ट्रमंडल में रजत पदक जीतने के बाद सुशीला एक जाना माना नाम बन गईं. वो भारत की पहली भारतीय जुडोका बनीं, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में जगह बनाई.

लिकमाबम सुशीला देवी की उपलब्धियां

2021 टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व

2014 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक

हांगकांग एशिया ओपन 2018 और 2019 रजत पदक

ताशकंद ग्रां प्री 2019 में हासिल किया 5वां स्थान

ज़ाग्रेब ग्रांड प्रिक्स 201 में हासिल किया 5वां स्थान

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