CWG 2022 Hockey Semifinal: भारत ने तीसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स के फाइनल में बनाई जगह, जानें कैसा रहा है इतिहास

Written By विवेक कुमार सिंह | Updated: Aug 07, 2022, 05:31 PM IST

India Hockey team in Final

Commonwealth Games 2022: भारत ने हॉकी के सेमीफाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 3-2 से मात देकर फाइनल में जगह बना ली है.

डीएनए हिंदी: CWG 2022 Hockey Semi final: भारत ने तीसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स के फाइनल में जगह बना ली है. अब भारतीय टीम गोल्ड मेडल मैच के लिए रविवार को मैदान पर उतरेगी. भारतीय पुरुष टीम तीसरी बार फाइनल में पहुंची है. इससे पहले दिल्ली में आयोजित 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स और 2014 में आयोजित ग्लास्गो खेलों में भारतीय टीम ने फाइनल  जगह बनाई थी. हालांकि दोनों बार उन्हें ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करने के बाद सिल्वर से संतोष करना पड़ा था.

भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 3-2 से हराकर खिताबी मुकाबले में अपनी जगह पक्की कर ली है. इस मैच में भारत के लिए पहला गोल अभिषेक ने किया. मनदीप सिंह ने मैच का दूसरा गोल किया जबकि गुरजंत सिंह ने तीसरा गोल दागा. पहले हाफ में दोनों टीमों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली और दोनों टीम कोई गोल नहीं कर सकीं. दूसरे क्वार्टर में भारत ने दो गोल दागे. तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम एक भी गोल नहीं कर सकी लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने गोल कर स्कोर 2-1 कर दिया. 

इसी साल FIH Pro League के एक मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को 10-2 से हराने वाली भारतीय टीम को इस मैच में एक एक गोल के लिए संघर्ष करना पड़ा. चौथे क्वार्टर में गुरजंत ने गोल कर भारत को 3-1 से आगे कर दिया. हालांकि आखिरी मिनट में मस्ताफे कैसिएम ने गोल कर वापसी की कोशिश की लेकिन काफी देर हो चुकी थी और भारतीय टीम ने फाइनल में जगह पक्की कर ली. 

अभी तक कॉमनवेल्थ खेलों में 7 बार हॉकी के इवेंट का आयोजन हुआ है, जहां भारतीय टीम दो बार सेमीफाइनल और तीन बार फाइनल में पहुंचने में सफल रही है. हालांकि भारतीय टीम कभी भी पदक वाला मैच नहीं जीत सकी है. 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में हॉकी को पहली बार शामिल किया गया, जहां भारत चौथे स्थान पर रहा था. उसके बाद  2010 खेलों मं भारत फाइनल में पहुंचा, जहां उसे ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा. ग्लास्गो के फाइनल में भी भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया से ही हार झेलनी पड़ी थी, जबकि गोल्ड कोस्ट में टीम को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था. 

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