डीएनए हिंदी: भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) ने 39 साल पहले 25 जून को पहली बार विश्व कप (1983 World Cup) खिताब जीता था और शनिवार को देश एक बार फिर इसका जश्न मनाएगा. यूं तो भारत ने साल 2011 में विश्व कप जीता (2011 Cricket World Cup) था लेकिन खास बात यह है कि 1983 की भारतीय टीम को विश्व क्रिकेट आज की बांग्लादेश की तरह समझता था.
कमतर समझी जाने वाली इस कपिल देव (Kapil Dev) के नेतृत्व वाली इस टीम ने वेस्टइंडीज जैसी टीमों को घुटनों पर ला दिया था लेकिन इस टीम के एक खिलाड़ी का एक किस्सा भी दिलचस्प है. यह खिलाड़ी विजेता टीम में तो शामिल था लेकिन उसने कभी कोई अंतर्राष्ट्रीय मैच ही नहीं खेला था इसे आप उस खिलाड़ी का दुर्भाग्य भी कह सकते हैं.
कौन है वो खिलाड़ी
आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये खिलाड़ी कौन हैं तो आपको बता दें कि ये लेफ्टआर्म फास्ट बॉलर सुनील वाल्सन (Sunil Valson) जिन्हें सिर्फ एक ही बार भारतीय टीम में चुना गया था. भारत ने कपिल देव की कप्तानी में वेस्टइंडीज को हराकर अपना पहला वर्ल्ड कप खिताब अपने नाम किया था.
नहीं मिली थी टीम में जगह
भारत तब वर्ल्ड कप खिताब जीतने वाला दुनिया का दूसरा देश बना था. भारत ने यहां 13 सदस्यीय टीम इस टूर्नामेंट में उतारी थी जिसमें सुनील वाल्सन को भी जगह मिली थी, तब उनकी उम्र 25 साल थी. हालांकि कप्तान कपिल देव उन्हें एक भी बार अपनी प्लेइंग XI में शामिल नहीं कर पाए. भारत ने टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया. वाल्सन भी इस विनिंग टीम का हिस्सा थे लेकिन उन्होंने भी तब ऐसा नहीं सोचा होगा कि वह 1983 के बाद कभी दोबारा भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाएंगे.
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इस टूर्नामेंट के बाद इस तेज गेंदबाज को कभी भी भारत के किसी भी टूर्नामेंट या सीरीज के लिए दोबारा नहीं चुना गया और उनका क्रिकेट करियर बिना कोई इंटरनेशनल मैच खेले ही खत्म हो गया. आंध्र प्रदेश के सिकंदराबाद में जन्मे वाल्सन प्रथम श्रेणी और लिस्ट A मैचों में दिल्ली और रेलवे के लिए करीब 10 सालों (1977-78 से 1987-88) तक क्रिकेट खेले थे.
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