डीएनए हिंदी: तमाम जोर आजमाइश के बाद पाकिस्तान की टीम वर्ल्डकप 2023 से बाहर हो चुकी है. टूर्नामेंट शुरू होने से डेढ़ महीने पहले टीम बेहद संतुलित नजर आ रही थी. तेज गेंदबाज सामने वाली टीम को धराशायी कर रहे थे, वहीं स्पिन ऑलराउंडर्स पाकिस्तान को मजबूती प्रदान कर रहे थे. ओपनिंग जोड़ी सेटल थी. मिडिल ऑर्डर में बाबर आमज और मोहम्मद रिजवान की उपस्थिति पाकिस्तान को और खतरनाक बना रहा था. दिग्गज क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना था कि यह टीम सेमीफाइनल में जरूर पहुंचेगी. लेकिन ऐसा अचानक क्या हुआ कि पाकिस्तान लगातार दूसरी बार वनडे वर्ल्डकप के लीग स्टेज से बाहर हो गया? आइए 5 प्वाइंट्स में समझते हैं.
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बाबर की खराब कप्तानी
पूरे टूर्नामेंट में बाबर आजम की कप्तानी बेहद साधारण रही. वह सयम पर टीम में जरूर बदलाव नहीं कर पाए, जिसका परिणाम पाकिस्तान को भुगतना पड़ा. शुरू में शादाब खान के लागातर खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्हें टीम में बनाए रखना समझ से परे था. जब मिडिल ओवरों में स्पिनर्स पर हमला होता था तब बाबर के कप्तानी की कलई खुल जाती थी. उनके प्लान बी जैसा कुछ भी नजर नहीं आता था. बाबर की डिफेंसिव कप्तानी भी पाकिस्तान के हार की वजह बनी.
सलामी बल्लेबाजों को फ्लॉप शो
वर्ल्डकप में पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी सलामी जोड़ी का खराब प्रदर्शन रहा. फखर जमान को पहले मैच के बाद ही ड्रॉप कर दिया गया था. उनकी जगह अब्दुल्लाह शफीक को मौका दिया गया. शफीक ने श्रीलंका के खिलाफ रन चेज में शतक ठोककर जगह पक्की कर ली. दूसरे छोर से इमाम उल हक फॉर्म में नहीं दिखे. उन्होंने 6 मैचों में 27 के बेहद साधारण औसत से 162 रन ही बनाए. पाकिस्तान की टीम जब करो या मरो वाली स्थिति में पहुंची तो इमाम की जगह फखर को बुलाया गया. फखर ने दो मैच विजयी पारियां खेली, लेकिन तब तक शफीक अपनी लय खो बैठे थे.
बाबर नहीं बन पाए बब्बर शेर
दुनिया के नंबर एक वनडे बल्लेबाज के रूप में टूर्नामेंट में कदम रखने वाले बाबर आजम का बल्ला पूरे टूर्नामेंट में शांत रहा. वह एक भी शतक नहीं लगा पाए. बाबर ने कई बार सेट होने के बाद अपने विकेट गंवाए. जिसकी वजह से पाकिस्तान समय पर अपनी पारी को गति नहीं दे सका. बाबर 9 मैचों में 40 की औसत से 320 रन ही बना पाए.
गेंदबाजों ने शुरुआत में ही डुबो दी लुटिया
पाकिस्तान ने वर्ल्डकप 2023 की शुरुआत जीत के साथ की. उन्होंने 286 रन को सफलतापूर्व डिफेंड कर लिया था. हालांकि सामने नीदरलैंड्स की टीम थी. एक समय डच टीम ने भी रन चेज में पाकिस्तान को चैलेंज कर दिया था. इसके बाद पाक गेंदबाजों ने जमकर रन लुटाए. श्रीलंका ने 344 रन ठोके, तो भारतीय टीम ने 192 रन के लक्ष्य को लगभग 30 ओवर में ही हासिल कर लिया. अगले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 367 रन कूट दिए. पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी मिडिल ओवरों में दिखी. जब ऊपर से तेज गेंदबाज विकेट नहीं चटका पाए, तो उनके स्पिनर्स मिडिल ओवरों में असहाय नजर आए.
एकजुट प्रदर्शन की हर मैच में दिखी कमी
बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले को छोड़ दें, तो पाकिस्तान ने कभी एकजुट प्रदर्शन नहीं दिखाया. टीम बिखरी-बिखरी सी दिखी. कुछ खिलाड़ियों ने टुकड़ों में अच्छा प्रदर्शन किया. मोहम्मद रिजवान पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे. हालांकि आखिरी मैचों में वह फ्लॉप साबित हुए. शाहीन शाह अफरीदी ने 18 विकेट चटकाए, लेकिन शुरू में सफलता दिलाने में असफल रहे. हारिस रऊफ सबसे महंगे साबित हुए. उन्होंने 16 विकेट जरूर चटकाए लेकिन 500 से ऊपर रन भी दिए.
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