डीएनए हिंदी: भारत को ओलंपिक (Olympic) में पहला व्यक्तिगत मेडल (First Individual Olympic Medal) दिलाने वाले खशाबा दादा साहेब जाधव (Khashaba Dadasaheb Jadhav) की 97वीं पर आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया उन्हें याद कर रही है. गूगल ने अपना डूडल बनाकर इस ओलंपियन को याद किया है. केडी जाधव (KD Jadhav) उन पहलवानों में से एक हैं जिन्होंने पूरी दुनिया को बताया कि एक सफल पहलवान (Wrestler) बनने के लिए हट्टा-कट्टा शरीर नहीं बल्कि जज्बा और तकनीक ज्यादा मदद करती हैं. छोटे से कद वाले इस दिग्गज पहलवान ने दुनिया के बड़े बड़े सुरमाओं को धूल चटाई. उन्होंने भारत के लिए 1952 ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत मेडल जीता. जिसके बाद वह देश के सुपरस्टार बन गए. चलिए उनके बारे में पांच ऐसी बातें जानते हैं जो बहुत कम लोंगों को पता होगी.
Google Doodle on KD Jadhav: जानिए कौन थे ओलंपिक में भारत का सिर ऊंचा करनेवाले केडी जाधव
1. 1952 ओलंपिक में देश को पहला व्यक्तिगत मेडल दिलाने वाले केडी जाधव ने अपने घर का नाम ओलंपिक निवास रख लिया. इसके अलावा गोलेश्वर के रहने वाले लोगों ने एक चौराहे पर ओलंपिक के पांच रिंग वाला लोगों बनाकर स्थापित किया. ताकि इस चौराहे से गुजरने वाले लोगों को केडी जाधव की महानता का पता चले. 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एरिना में रेसलिंग रिंग को केडी जाधव स्टेडियम नाम दिया गया.
2. केडी जाधव बचपन से ही बहुत मेहनती थे. बताया जाता है कि वह एक बार में लगभग 1000 सिट-अप और लगभग 200 से 300 पुश-अप्स लगा लिया करते थे. जो आब के बॉडीबिल्डर्स के लिए भी टेढ़ी खिर साबित होगी. केड़ी प्रतिदिन 2-4 घंटे की ट्रेनिंग करते थे.
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3. केडी के कॉलेज के प्रिंसिपल ने अपने घर को गिरवी रखकर उन्हें ओलंपिक में भेजने का इंतजान किया. पदक जीतने के बाद 5 फुट और 5 इंच की हाईट वाले केडी ने अपने से लंबे-चौड़े पुलिसवालों को ट्रेनिंग दी और उनको अपने मुकाम तक पहुंचने में मदद की. मेडल के बाद पुलिस फोर्स ज्वाइन करने वाले जाधव 1983 में असिसटेंट कमिश्नर के पद के रिटायर हुए.
4. केडी जाधव के जीवन के ऊपर एक फिल्म बनने वाली थी और भारतीय पहलवान और एक्टर संग्राम सिंह इस मूवी में केडी जाधव की भूमिका निभाने वाले थे, हालांकि किन्हीं वजहों से ये फिल्म अब तक नहीं बन पाई है.
5. साल 1984 में 14 अगस्त को जाधव का मोटरसाइकिल एक्सीडेंट में देहांत हो गया. उनकी मृत्यु के बाद साल 2001 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जाधव ने 1948 लंदन ओलंपिक और 1952 में भाग लिया था. 1948 में वह छठे स्थान पर रहे थे. महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 1992 में छत्रपति पुरस्कार से सम्मानिक किया था.
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