डीएनए हिंदी: कीर्ति आजाद हो या नवजोत सिंह सिद्धू, भारतीय क्रिकेट टीम के कई ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने क्रिकेट के मैदान से संन्यास लेने के बाद पॉलिटिक्स में किस्मत आजमाया हो. लेकिन कई क्रिकेटर्स को पॉलिटिक्स बिल्कुल पसंद नहीं और वह बड़े से बड़ा ऑफर ठुकरा चुके हैं. भारतीय टीम के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग उन्हीं में से एक क्रिकेटर हैं, जो पॉलिटिक्स में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. हालांकि वह सिर्फ राजनीति से जुड़ना नहीं चाहते लेकिन देश में मुद्दों पर वह खुलकर अपनी राय रखते हैं. क्रिकेट से जब सहवाग ने संन्यास लिया था तो कयास लगाए जा रहे थे कि वह बीजेपी ज्वाइन करेंगे. हालांकि उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर फिर से अपनी बात रखी और बताया कि वह किन पार्टियों को न बोल चुके हैं.
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मंगलवार को वनडे वर्ल्डकप के लिए भारतीय टीम का ऐलान हुआ. सहवाग ने एक ट्वीट किया और लिखा की हम भारतीय हैं और इंडिया नाम अंग्रेजों ने दिया था. अब समय आ गया है कि हमें अपने देश का असली नाम आधिकारिक तौर पर प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने BCCI और जय शाह से आग्रह किया कि वर्ल्डकप 2023 के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर इंडिया की जगह भारत का नाम लिखा हो.
जिसके बाद से सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा होने लगी कि सहवाग पॉलिटिक्स ज्वाइन कर सकते हैं. कई लोगों ने तो ऐसी भी बातें शुरू कर दी थीं कि BJP के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए विरोधी पार्टियों ने INDIA नाम का गठबंधन बनाया है. इसलिए सहवाग अब भारत की बात कर रहे हैं. हालांकि इसके बाद सहवाग ने अपने ट्वीट से साफ कर दिया कि वह किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं कर रहे हैं और न ही कभी करने वाले हैं.
सहवाग ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, "मुझे राजनीति में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं है. पिछले दो चुनावों से पहले दोनों प्रमुख पार्टियों ने मुझसे संपर्क किया. मुझे लगता है कि मनोरंजन करने वाले लोगों को या खिलाड़ियों को राजनीति में नहीं घुसना चाहिए. क्योंकि ज्यादातर लोग अपने अहंकार और सत्ता की भूख के लिए यहां आते हैं और लोगों के लिए मुश्किल से ही वास्तविक समय निकाल पाते हैं. हालांकि सब ऐसे नहीं होते हैं. मुझे क्रिकेट से जुड़ना और कमेंटरी करना पसंद है. सांसद बनना ऐसी चीज नहीं है जिसकी मैंने कभी इच्छा की हो."
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