डीएनए हिंदी: मुंबई इंडियंस और राजस्थान रॉयल्स (MI Vs RR) के बीच वानखेड़े स्टेडियम में हुए मैच में यशस्वी जायसवाल ने शानदार शतक जड़ा है. मैच का नतीजा जो भी हो लेकिन यशस्वी ने अपनी शतकीय पारी से सबका दिल जीत लिया है. खास बात यह है कि यह शतक वानखेड़े ग्राउंड पर आया है. यह युवा खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में मुंबई की ओर से खेलता है और अपने घर में अच्छा प्रदर्श करना किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है. यशस्वी के लिए क्रिकेटर बनने का सफर आसान नहीं था. उन्होंने इसके लिए बहुत मेहनत की है.
क्रिकेट के लिए छोड़ दिया घर, गोलगप्पे का ठेला लगाया
21 साल के यशस्वी जायसवाल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के भदोही के रहने वाले हैं. क्रिकेट से प्यार और सही ट्रेनिंग के लिए उन्होंने 11 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया और मुंबई पहुंच गए. मुंबई में रहना, क्रिकेट की प्रैक्टिस और दूसरे खर्चों के लिए उनके पास अक्सर पैसों की कमी रहती थी. अपना खर्च चलाने के लिए वह मुंबई के आजाद मैदान में गोलगप्पे का ठेला भी लगाते थे. हालांकि क्रिकेट के लिए अपना जुनून उन्होंने कभी नहीं छोड़ा और इसलिए रास्ते में आने वाली मुश्किलें कभी बाधा नहीं बन सकीं.
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कोच ज्वाला सिंह ने किया था यशस्वी को सपोर्ट
यशस्वी जायसवाल की प्रतिभा को देखते हुए उनके कोच ज्वाला सिंह ने उन्हें सपोर्ट किया. उन्होंने इस युवा टैलेंट को अपने घर में रहने के लिए जगह भी दिया. इस युवा ने इसके बाद क्रिकेट को ही अपना सब कुछ दे दिया और एक बार जूनियर टीम में चुने जाने के बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. 2020 अंडर-19 वर्ल्ड कप में यशस्वी सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे. उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड भी मिला था. उनके नाम विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई के लिए दोहरा शतक भी है. अब फैंस को उम्मीद है कि जल्द ही उनकी एंट्री टीम इंडिया में हो सकती है.
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