Neeraj Chopra में नहीं है ओलंपिक जैसा दमखम लेकिन 90 मीटर पार फेकेंगे भाला! जानिए कैसे

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 22, 2022, 07:51 PM IST

नीरज चोपड़ा

World Athletics Championship के क्वालीफाइंग राउंड में नीरज चोपड़ा ने पहले ही थ्रो में फाइनल का टिकट हासिल कर लिया.

डीएनए हिंदी: भारत की आन बान और शान नीरज चोपड़ा की परफॉर्मेंस पर पूरे देश की जनता की नजरें गड़ी हुई हैं. हर किसी को देश के लाल से एक और गोल्ड मेडल जीतने की आस है. नीरज ने पहले ही वर्ल्ड चैंपियनशिप के क्वालीफायर में 88.39 मीटर का भाला फेंक फाइनल में जगह बना ली है. यही वजह है कि लोग उनसे अब मेडल की उम्मीद इतनी ज्यादा कर रहे हैं. लेकिन इस सब के बीच हम आपका ध्यान एक खास बात की ओर खींचना चाहते हैं, जिसके बारे में जानने के बाद आपको अंदाजा हो जाएगा कि आखिर नीरज से ही सिर्फ गोल्ड की ही क्यों उम्मीद की जा सकती है.

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नीरज चोपड़ा एक खास खिलाड़ी हैं और उन्हें खास बनाती है उनकी मेहनत और टेकनीक. कड़ी मेहनत से ही सभी मुकाबले नहीं जीते जा सकते. अगर टेकनीक सही नहीं बैठी तो नतीजा अपने हक में लाना मुश्किल हो जाता है. नीरज जिस टेकनीक और मेहनत के साथ प्रेक्टिस कर रहे हैं उसे देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि वो वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के फाइनल में 90 मीटर का रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे.

90 मीटर के लिए क्या कुछ कर रहे हैं नीरज

नीरज चोपड़ा ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में अपने खेल से जुड़ी कई अहम बातें बताई हैं. उन्होंने बताया है कि वो अभी टोक्यो ओलंपिक जितने स्ट्रॉन्ग नहीं है. लेकिन बेहतर आर्म स्पीड और टेकनीक पर फोकस की वजह से उन्हें 90 मीटर की दूरी तक भाला फेंकने में काफी मदद मिलेगी.

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नीरज का कहना है कि टोक्यो जाने से पहले वो भुवनेश्वर में थे. आज की तुलना में उनकी स्ट्रेंथ टोक्यो ओलंपिक जितनी नहीं है.फिर चाहे बात वेट लिफ्टिंग की हो या जंप मारने की. उन्होंने कहा कि अगर मैं टोक्यो के दौरान अपनी स्ट्रेंथ की बात करूं तो उस समय मैं 160 से 170 किलोग्राम की फुल स्कवैट लगाता था. जब कि आज 140 किलोग्राम की लगाता हूं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मुझे स्ट्रेंथ बिल्डिंग के लिए ज्यादा समय नहीं मिला. लेकिन इस बार मेरा फोकस टेकनीक है. मेरी स्ट्रेंथ अच्छे लेवल पर है पर थ्रो के लिए टेकनीक बेहद अहम है, जैसे कि थ्रो का एंगल. 

कैसे बढ़ाई आर्म स्पीड

नीरज चोपड़ा ने एक बात तो साफ कर दी है कि टेकनीक और आर्म स्पीड इस बार उनकी जीत का मूल मंत्र है. लेकिन इस आर्म स्पीड को बेहतर करने के लिए उन्होंने एक खास टेकनीक इस्तेमाल की है. नीरज ने बताया कि वो आर्म स्पीड को बेहतर करने के लिए हल्के जैवलिन का यूज कर रहे हैं. आमतौर पर पुरुषों के जैवलिन इवेंट में 800 ग्राम का जैवलिन यूज होता है, लेकिन नीरज इससे 100 ग्राम हल्के जैवलिन से थ्रो की प्रेक्टिस कर रहे हैं. हल्के जैवलिन के होने के कारण उनकी आर्म स्पीड बढ़ गई है. बता दें कि नीरज स्टॉकहोम डायमंड लीग में 89.94 मीटर का थ्रो फेंक चुके हैं, जो कि वर्ल्ड चैंपियन एंडरसन पीटर्स के रिकॉर्ड से थोड़ा ही कम रह गया था. नीरज के कोच को भी यकीन है कि इस बार वो 90 मीटर का आंकड़ा जरूर पार कर लेंगे. 

नीरज ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए बड़ी मेहनत की है और देश की उम्मीदों का भार भी उन्हीं के मजबूत कंधों पर है. देश का नाम गौरव करने वाले इस खिलाड़ी को पूरा देश फाइनल से पहले 'ऑल द बेस्ट नीरज' कह रहा है.

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