बस की टिकट के लिए नहीं थे पैसे, सड़क पर गुजारी थी रात, ये है वो पाकिस्तानी गेंदबाज जिसके सामने कांपते थे बल्लेबाज

Written By विवेक कुमार सिंह | Updated: Aug 19, 2022, 06:23 AM IST

Pakistani Cricketer from poor backround

शोएब अख्तर ने अपने करियर के दौरान 46 टेस्ट में 178 विकेट हासिल किए हैं और वनडे में 163 मैच खेलकर 247 विकेट चटकाए.

डीएनए हिंदी: दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज ने 1997 में अंतरराष्ट्रीय मैदान पर कदम रखा और तब से लेकर अपने करियर की अंतिम गेंद तक उसने बल्लेबाजों के मन में डर बनाए रखा था. उस गेंदबाज का नाम है शोएब अख्तर (Shoaib Akhtar), जिसने बड़े से बड़े बल्लेबाज को भी धूल चटाई है. 1999 के विश्वकप में एक लंबे कद के तेज गेंदबाज लंबी रन-अप से भागता हुआ आया और लगातार दो गेंदों पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर क्लीन बोल्ड कर दिया. 

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उसके बाद तो न जाने शोएब ने कितनों के सिर पर गेंद मारी और कितनों के मन में डर पैदा किया. कहा जाता है कि उनके खतरनाक बाउंसर के सामने बल्लेबाजों के पैर कांप जाते थे. साल 2004-5 तक शोएब क्रिकेट जगत के सबसे खतरनाक गेंदबाजों में से एक बन गए. अपने दिन वो किसी भी महान बल्लेबाज को धूल चटा सकते थे. हालांकि शोएब का कद बड़ा हुआ, तो उनकी डिसिप्लिन बिगडती गई. अपने साथी को पीटने से लेकर, गेंद के साथ छेड़छाड और एक्शन पर संदेस की वजह से उन्हें फाइन भरना पड़ा और क्रिकेट मैदान भी छोड़ना पड़ा. 8 मार्च 2011 वो इस गेंदबाज ने अंतराष्ट्रीय करियर से संन्यास ले लिया. 

शानदार रहा शोएब अख्तर का करियर

अपने करियर के दौरान 46 टेस्ट में 178 विकेट हासिल करने वाले अख्तर ने वनडे में 163 मैच खेले थे और 247 विकेट हासिल किए थे. शोएब टी20 में भी खेले लेकिन ज्यादा सफल नहीं हो पाए. उन्होंने क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में 15 मैच खेले, जिसमें 19 विकेट हासिल किए. शोएब अख्तर पाकिस्तान के उन क्रिकेटरों में से एक हैं जो गरीब पारिवारिक से आते हैं. रावलपिंडी एक्सप्रेस ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि एक बार उनके पास ट्रायल के लिए जाने के लिए पैसे तक नहीं थे.

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"पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के लिए एक ट्रायल था, जिसके बारे में मेरे दोस्तों ने मुझे बताया था, जो मॉडल टाउन, लाहौर में नवाब के मैदान में आयोजित किया गया था और मेरे पास पैसे नहीं थे. मुझे नहीं पता था कि वहां कैसे पहुंचा जा सकता है और मेरे परिवार ने मुझसे पूछा, तुम कहां जा रहे हो? मैंने कहा मुझे नहीं पता. फिर, मैं किसी तरह बस कंडक्टर को समझाने में कामयाब रहा और बस की छत पर बैठकर  लाहौर पहुंचा. पूरी रात सड़क पर गुजारी. और सुबह किसी तरह मैं वहां गया, जहां 5,000 खिलाड़ी पहले से थे."

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