डीएनए हिंदी: ओलंपिक फाइनल तक पहुंचने वाली देश की पहली महिला एथलीट पीटी उषा किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने अपने करियर के जरिए देश की आधी आबादी को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने का हौसला प्रदान किया है. पीटी उषा देश दुनिया का जाना-माना नाम है. उन्होंने साल 1979 से करीब दो दशकों तक अपनी प्रतिभा से देश को सम्मानित कराया है.
27 जून को पीटी उषा अपना 58वां जन्मदिन मना रही हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि इनका पूरा नाम पिलावुल्लकंडी थेक्केपराम्बील उषा है, हालांकि दुनिया इन्हें पीटी उषा के नाम से ही जानती है. इसके अलावा इन्हें अक्सर 'क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एंड फील्ड' और 'पय्योली एक्सप्रेस' के नाम से भी जाना जाता है.
पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल में कोजिकोड जिले के पय्योली गांव में हुआ था. साल 1976 में पीटी उषा ने पहली बार नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स की चैंपियनशिप जीती. तभी पहली बार उषा लाइमलाइट में आईं. तब पीटी उषा महज 12 साल की थीं. साल 1980 में अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की. कराची में हुए 'पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट' में पीटी उषा ने चार गोल्ड मेडल भारत के नाम किए.
भारत के सबसे अच्छे एथलीट्स में शुमार पीटी उषा ने तीन ओलंपिक गेम्स में खेले हैं. इनमें मॉस्को (1980), लॉस एंजेल्स (1984) और सिओल (1988) शामिल हैं. मॉस्को में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा. लॉस एंजेल्स में फाइनल तक पहुंचकर मेडल जीतने से रह गईं. सिओल ओलंपिक में भी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाईं.
1982 में नई दिल्ली में आयोजित हुए एशियाई गेम्स में 100 मीटर और 200 मीटर रेस में सिल्वर मेडल जीता. अगले साल एशियन ट्रेक और फील्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. 1983 से 89 तक एटीएफ में उषा ने 13 गोल्ड मेडल हासिल किए.
20 साल की उम्र में पीटी उषा को भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. साल 1985 और 1986 में बेस्ट एथलीट के लिए वर्ल्ड ट्रॉफी से सम्मानित किया गया. 1990 में 'बीजिंग एशियन गेम्स' में पीटी उषा ने तीन सिल्वर मेडल हासिल किए. साल 1991 में उन्होंने वी श्रीनिवासन से शादी कर ली. इसके बाद 1998 में उषा ने फिर एथलेटिक्स में वापसी की.
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साल 2000 में पीटी उषा ने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया. इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की तरफ से पीटी उषा को 'स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द सेंचुरी' और 'स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ द मिलेनियम' का खिताब दिया गया है. वो आज के दौर में देश में महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल की तरह है जिन्होंने प्रगति के मार्ग पर आगे चलकर अनेकों नई महिला रोल मॉडल प्रदान की है.
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