डीएनए हिंदी: पैरा एशियन गेम्स चैंपियन शीतल देवी ने इतिहास रच दिया है. उन्हें वर्ल्ड तीरंदाजी अवॉर्ड्स में महिला तीरंदाज ऑफ द ईयर चुना गया है. शुक्रवा, 29 दिसंबर को वर्ल्ड तीरंदाजी ने इसकी घोषणा की. जम्मू कश्मीर से आने वाली शीतल इसी के साथ वर्ल्ड तीरंदाजी अवॉर्ड जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गई हैं. उन्होंने चीन के हांगझोऊ में खेले गए पैरा एशियन गेम्स और पैरा तीरंदाजी वर्ल्ड चैंपियनशिप में अद्भुत प्रदर्शन किया था. पैरा एशियन गेम्स में जहां शीतल ने दो गोल्ड सहित तीन मेडल जीते थे, वहीं वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर अपने नाम किया था.
इंटरनेशनल मेडल जीतने वाली दुनिया की पहली भुजाहीन तीरंदाज
कंपाउंड महिला ओपन कैटेगरी में शीतल नंबर एक तीरंदाज हैं. उन्होंने वर्ल्ड पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप के फाइनल में जगह पक्की कर पैरालंपिक 2024 के लिए टिकट कटाया था. 16 वर्षीय शीतल वर्ल्ड तीरंदाजी चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली पहली भुजाहीन तीरंदाज हैं. वह पैरों के सहारे तीर चलाती हैं.
अर्जुन अवॉर्ड से भी होंगी सम्मानित
शीतल ने नवंबर, 2022 में पहली बार जूनियर नेशनल गेम्स में हिस्सा लिया था. यहां से वह सफलती की सीढ़ी चढ़ती चली गईं. वर्ल्ड पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप और पैरा एशियन गेम्स में भारत का नाम ऊंचा करने के लिए उन्हें हाल ही में प्रतिष्ठित अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है. 9 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह में यह पुरस्कार उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु प्रदान करेंगी. शीतल अर्जुन अवॉर्ड हासिल करने वाली जम्मू-कश्मीर की पहली पैरा तीरंदाज होंगी.
जन्म से ही नहीं थे दोनों हाथ
शीतल का जन्म 10 जनवरी, 2007 को जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के दूरदराज गांव लोई धार में एक गरीब परिवार में हुआ था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जन्म से ही उनके दोनों हाथ नहीं थे. वह फोकोमेलिया नामक बीमारी से जन्मजात पीड़ित हैं. इस बीमारी की वजह से अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते हैं. तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने 2021 में तीरंदाजी में करियर की शुरुआत की थी.
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