TATA ग्रुप ही रहेगा IPL का टाइटल स्पॉन्सर, हर सीजन के लिए देगा इतने करोड़ रुपए

Written By कुणाल किशोर | Updated: Jan 20, 2024, 08:43 AM IST

टाटा ग्रुप ही पिछले दो सीजन से आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर था

TATA Group IPL title Sponsor: आदित्य बिरला ग्रुप ने आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सरशिप हासिल करने के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी, लेकिन टाटा ग्रुप ने एक खास शर्त के जरिए राइट्स अपने नाम किए.

डीएनए हिंदी: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का टाइटल स्पॉन्सरशिप राइट्स टाटा ग्रुप के पास ही रहेगा. टाटा ग्रुप ने अगले 5 साल यानी 2028 तक के लिए टाइटल स्पॉन्सरशिप हासिल कर लिए हैं. इस दौरान उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को हर साल 500 करोड़ और पांच सालों में कुल 2500 करोड़ भुगतान करने होंगे. टाटा ग्रुप ने स्पॉन्सरशिप राइट्स एक खास शर्त के जरिए हासिल किए, क्योंकि आदित्य बिरला ग्रुप ने भी 2500 करोड़ की बोली लगाई थी.

क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, बीसीसीआई ने जब टाइटल स्पॉन्सर के लिए टेंडर जारी किए थे तब यह नियम तय था कि टाटा ग्रुप नीलामी में सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी की बराबरी करना चाहता है तो राइट्स उसे ही मिलेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, आदित्य बिरला ग्रुप की बोली से टाटा ग्रुप की बोली मैच होने के बाद शुक्रवार को बीसीसीआई ने ये फैसला किया कि टाटा ग्रुप को ही दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग के टाइटल स्पॉन्सरशिप राइट्स दिए जाएंगे. बता दें कि इसके लिए बीसीसीआई ने पिछले महीने टेंडर जारी किए थे. यह भी पढ़ें: भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज से पहले जुबानी जंग शुरू, अंग्रेज गेंदबाज ने कोहली को बताया ईगो वाला खिलाड़ी

पिछले दो सीजन से टाटा ग्रुप ही था टाइटल स्पॉन्सर

2022 के बाद से टाटा ग्रुप ही आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर रहा है. 2022 और 2023 सीजन के लिए टाटा ने बीसीसीआई को प्रति सीजन 365 करोड़ के हिसाब से 730 करोड़ चुकाए थे. बता दें कि इससे पहले आईपीएल का स्पॉन्सर वीवो था. इस स्मार्टफोन कंपनी ने 2022 में टाइटल स्पॉन्सरशिप डील से पीछे हटने का फैसला किया था. इसकी वजह भारत और चीन के रिश्तों में आई खटास बताई गई. कोविड महामारी के दौरान एक सीजन के लिए ड्रीम 11 भी आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर बना था.

इस बार बीसीसीआई ने टाइटल स्पॉन्सरशिप का टेंडर जारी करते समय कड़ी शर्तें रखी थीं. बीसीसीआई ने संकेत दिया था कि वह उन देशों की कंपनियों या ब्रांडों की बोलियों पर विचार नहीं करेगी, जिनके भारत के साथ अच्छे रिश्ते नहीं हैं. हालांकि इसमें किसी देश का नाम नहीं लिया गया लेकिन चीनी कंपनी वीवो के साथ खराब अनुभव को जरूर ध्यान में रखा गया.

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