डीएनए हिंदी: भारत को अंडर 19 वर्ड कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली क्रिकेटर अर्चना देवी का सफर बहुत मुश्किल रहा है. उनके पिता की मौत काफी कम उम्र में हो गई थी. परिवार के पास रहने के लिए एक पक्का मकान तक नहीं है. अर्चना की मां ने बताया कि उनके पति औऱ बेटे की मौत के बद गांव वाले उन्हें ताना देते थे. कुछ लोगों ने तो उन्हें डायन तक करार दिया था. हालांकि इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और समाज के तानों को पीछे छोड़कर बेटी के लिए संघर्ष करती रहीं.
अर्चना की मां ने बताया, दूध बेचकर बनाया बेटी को क्रिकेटर
अर्चना देवी की मां ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने दूध बेच कर अपनी बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाया है. उनके पति की मौत कैंसर से हो गई थी और कुछ दिन बाद सांप काटने से बेटे की मौत हो गई थी. उन्नाव की रातई पुरवा की रहने वाली अर्चना ने इन तानों से कभी हार नहीं मानी और जीवन में कुछ बड़ा करने का फैसला किया था. उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलना पसंद था फिर गरीबी में भी उन्होंने इस सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
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फाइनल में अर्चना ने शानदार 2 विकेट लेने के साथ एक हाथ से एक बेहतरीन कैच भी लपका था.
फाइनल में अर्चना ने चटकाए 2 विकेट
अर्चना ने फाइनल में ग्रेस स्क्रिवेंस और नियाह हॉलैंड को आउट कर भारतीय टीम की जीत की नींव पक्की की थी. अर्चना की मां ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें खेलने के लिए मुरादाबाद के बोर्डिंग स्कूल में भेजा था. सावित्री देवी कहती हैं, 'पहले जो लोग मुझे बेटी को क्रिके खेलने देने के लिए ताने देते थे वो भी फाइनल के दिन मेरे घर आए थे. वर्ल्ड कप जीतने के बाद तो मेरा पूरा घर मेहमानों से भर गया है.' अर्चना का सपना ह कि वह भारतीय टीम के लिए खेलें.
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