'मैं 199 पर बल्लेबाजी कर रहा था, तब ईशांत मेरे पास आए और बोले', सहवाग ने सुनाई 'Selfish' की कहानी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Mar 16, 2023, 10:33 AM IST

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साल 2008 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दूसरे मुकाबले में वीरेंदर सहवाग के नाबाद 201 रन के बावजूद पूरी टीम सिर्फ 329 रन बना सकी थी.

डीएनए हिंदी: वीरेंद्र सहवाग को दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाजों के गिना जाता है. टेस्ट क्रिकेट में भी वह टी20 की तरह क्रिकेट खेलते थे और गेंदबाजों पर हमेशा हावी रहने की कोशिश करते थे. पावरप्ले का असली उपयोग करने का श्रेय विरेंदर सहवाग को ही दिया जाता है. भारतीय टीम के पूर्व बल्लेबाज ने सचिन तेंदुलकर के साथ कई ऐतिहासिक पारियां खेली है. वह टेस्ट क्रिकेट में 2 तीसरा शतक लगाने वाले दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज हैं. सहवाग ने 6 दोहरे शतक भी लगाए हैं. श्रीलंका के खिलाफ साल 2008 में खेली गई नाबाद 201 रन की पारी में सेहवाग ने बड़ा खुलासा किया है. 

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सीरीज के दूसरे टेस्ट के दौरान सहवाग 201 रन बनाकर नाबाद रहे जब पूरी टीम के सिर्फ दो बल्लेबाज ही दहाई का आंकड़ा पार कर सके थे.उनके दोहरे शतक के बावजूद टीम सिर्फ 329 रन बना सकी. इस मैच को भारत ने 170 रन से जीत लिया.  इस मैच में अजंता मेडिंज और मुथैया मुरलीधरन ने शानदार गेंदबाजी की और दोनों ने मिलकर मैच में 15 विकेट चटकाए थे. उस मैच के बारे में बात करते सहवाग ने बताया कि अगर ईशांत शर्मा उनसे बैटिंग करने के लिए आग्रह नहीं करते तो और भी रन बना सकते थे. 

सेल्फिश होने के सवाल का जवाब देते हुए सहवाग ने कहा, "नकारात्मक माहौल का मतलब है कि कुछ लोग रन बनाना तो चाहते हैं लेकिन दूसरों को असफल होते देखना भी चाहते हैं. मैं हमेशा चाहता था कि मेरे साथी और मैं दोनों रन बनाएं. जो भी बेहतर होगा उसे चुना जाएगा. मैं स्वार्थी क्यों होऊंगा?"

सहवाग ने कहा, "मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं. मैं 199 पर बल्लेबाजी कर रहा था. ईशांत शर्मा मेरे साथी थे. मुझे पता था कि ईशांत मुरलीधरन और मेंडिस को नहीं खेल सकते. मैं उस समय सेल्फिश बन सकता था. मैं 200 तक पहुंचने के बाद ईशांत को स्ट्राइक दे सकता था लेकिन मैंने मुरलीधरन के खिलाफ पांच गेंदें खेलीं और आखिरी गेंद पर एक रन लिया. ईशांत मेरे पास आए और बोले, 'भैया, मैं खेलूंगा. आप बेवजह डर रहे हैं. मैंने कहा ठीक है, मैंने एक सिंगल लेकर 200 रन पूरे किए और उसे स्ट्राइक दे दी. ईशांत दो गेंद नहीं टिक सके. फिर मैंने उससे पूछा, 'तो तुमने उसे खेल लिया, पूरी हो गई मनोकामना?'

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सहवाग ने कहा, मैं सोच रहा था कि मैं स्कोरबोर्ड में और रन जोड़ सकता हूं और उसने कहा कि वह उन्हें खेल लेगा. मेरे लिए 200 रन बनाना महत्वपूर्ण नहीं था. मैं चाहता था कि मैं स्ट्राइक पर रहूं और टीम के लिए अधिक से अधिक रन बनाऊं. इसलिए, मेरा वह स्वार्थ नहीं था.” सहवाग ने 104 टेस्ट और 251 वनडे मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. साथ ही साथ 19 T20I भी खेली है और टीम के T20 विश्व कप (2007) और ODI विश्व कप (2011) की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 

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