एक दर्शक बन गया प्रो कबड्डी का स्टार, एक सीजन में 250 से अधिक अंक हासिल कर अपनी टीम को जिताया खिताब

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 29, 2023, 10:48 PM IST

Arjun Deshwal

मुजफ्फरनगर के गांव से निकलकर इस खिलाड़ी का कबड्डी स्टार बनने तक का सफर. प्राइमरी स्कूल से की कबड्डी की शुरुआत, अब बन गया है प्रो कबड्डी लीग का जाना पहचाना नाम.

डीएनए हिंदी: अपना देश भारत. यहां हर खिलाड़ी के संघर्ष की अपनी कहानी होती है. लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि किसी दर्शक को खेल से इतना प्यार हो जाए कि वह इसे अपना करियर ही बना ले? जी हां, आपने सही सुना. यह कहानी है मुजफ्फरनगर के अर्जुन देशवाल की. प्राइमरी स्कूल के मैदान से निकला यह खिलाड़ी आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. अर्जुन, चीन में हुए एशियन गेम्स 2023 में गोल्ड जीतने वाली टीम के सदस्य रह चुके हैं. इससे पहले उन्होंने पीकेएल सीजन-9 में जयपुर पिंक पैथर्स को चैंपियन बनाया था. 

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स्कूल में कबड्डी खिलाड़ियों को खेलते देख मैदान में उतरे अर्जुन

मुजफ्फरनगर के गांव बसेडा के रहने वाले अर्जुन देशवाल स्कूली कबड्डी से निकले हैं. प्राथमिक विद्यालय मलकपुरा के शिक्षक धर्मेंद्र देशवाल का इस सितारे को चमकाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. धर्मेंद्र बताते हैं, "1999 से प्राइमरी स्कूल में कबड्डी हो रहा है. 2004 में कानपुर में जब स्कूली बच्चों की टीम ने गोल्ड जीता तब अर्जुन बतौर दर्शक खेल देखने आता था." इसके बाद अर्जुन, बसेड़ा स्कूल में कबड्डी देखने लगे. फिर उन्होंने 2006 से खेलना शुरू किया और इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

पीकेएल में पिछले दो सीजन से 250 से ज्यादा रेड प्वाइंट

पीकेएल सीजन-6 में अर्जुन ने डेब्यू किया था. यू मुंबा के लिए वह पहली बार पीकेएल के मैट पर उतरे. हालांकि उस सीजन अर्जुन कुछ खास नहीं कर पाए. उन्होंने तीन मैचों चार रेड प्वाइंट बनाए. पीकेएल सीजन-6 में अर्जुन ने धमाकेदार प्रदर्शन किया और छा गए. उन्होंने 19 मैच खेले और 106 प्वाइंट बनाए. इसके बाद वह जयपुर पिंक पैंथर्स में चले गए. जयपुर के लिए अर्जुन ने पहले ही सीजन में 268 प्वाइंट हासिल किए. अगले सीजन में उन्होंने इससे भी बड़ा धमाका किया और 296 प्वाइंट बटोरकर जयपुर को दूसरा पीकेएल खिताब जीता दिया. इसी प्रदर्शन की वजह से अर्जुन को जयपुर ने सीजन-10 के लिए 96 लाख में रिटेन किया है.

आपको बताते चलें कि अर्जुन सेना में भी काम कर चुके हैं. उन्होंने रुड़की में सेना के लिए काम किया था. अर्जुन को हैदराबाद और बैंगलोर की सेना टुकड़ी में एक पद की की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया था. 

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